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कृतित्व/हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ तथाहि - "एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति"। (ऋग्वेद 1/164/46) अर्थात् - विप्रविद्वान एक सत् को चार प्रकार से कहते है - (1) सत् (2) असत् (3) उभय -सत्- असत् (4) अनुभय न सत् - न असत् । "सामान्यं द्विविधं प्रोक्तं परंचापरमेव च"
(कारिकावली कारिका 8, टीका पृ. 19) सामान्य दो प्रकार है - (1) परसामान्य - सकलजाति की अपेक्षा सत्ता पर सामान्य है जैसे मनुष्यमात्र ।
किसी जाति विशेष की अपेक्षा, अल्पविषय होने से अपर सामान्य कहा जाता है जैसे विप्र, क्षत्रिय, जैन, हरीजन आदि
"द्रव्यत्वादिक जातिस्तु परापरतयोच्यते ।।१।। द्रव्यत्व आदि जाति दो प्रकार की होती है -
(1) परजाति (2) अपरजाति । उनमें पृथिवीत्व जाति व्यापक होने से द्रव्यत्व जाति पर कही जाती है और मकान, घट आदि पदार्थो में पाई जाने वाली द्रव्यत्व जाति, अल्पदेशवाली होने से अपरजाति कही जाती है, इस प्रकार द्रव्यत्व के अपेक्षाकृत दो भेद कहे गये हैं। (कारिकावली - का. 9. पृ. 20 - 2)
"तंत्र गंधवती पृथिवी । सा द्विविधा - नित्याऽ नित्या च । नित्या परमाणु रूपा, अनित्या कार्यरूपा । इति पृथिव्या, नित्यानित्यत्वम्।"
सारांश - उन नव द्रव्यों में जो गंधवाली है उसे पृथिवी कहते है । वह पृथिवी दो भेद वाली है - (1) नित्यपृथिवी (2) अनित्यपृथिवी
नित्यपृथिवी परमाणु रूप होती है और अनित्यपृथिवी कार्य रूप होती है। जैसे - घट ,घड़ा, घर, घरट्ट आदि पदार्थ । यहाँ पृथ्वी के अपेक्षाकृत भेद कथित हैं। (तर्क संग्रहः प्रत्यक्षप्रकरण: सूत्र 9, पृ. 3)
महात्मा बुद्ध के अव्याकृतवाद का व्याख्यान चार भंगों की अपेक्षा से किया गया है और उन्हीं के समकालीन महात्मा संजय वेलदिठपुत्त के अनिश्चितवाद का व्याख्यान भी, सत् - असत् - उभय-अनुभय इन चार भंगों की अपेक्षा किया गया है। अत: बुद्ध के सिद्धांत भी अनेकान्तवाद से प्रभावित थे।
(जैनदर्शन : डॉ. महेन्द्र कुमार पृ. 535) इस प्रकार विविध दर्शन शास्त्रों के उक्त प्रकरणों में वस्तुत्व का निर्णय विवक्षा के बल से ही किया गया है, यही स्याद्वाद की शैली है। वैज्ञानिक लोक में अनेकान्तवाद का प्रभाव :
__जिस प्रकार निश्चयत: दार्शनिक लोक में अनेकान्त सिद्धांत प्रभावशील है उसी प्रकार विज्ञान के आलोक में भी अनेकान्त / स्यावाद प्रभावशील देखा जाता है। स्यावाद और विज्ञान में कोई विरोध प्राय: नहीं देखा जाता है कारण कि दोनों सिद्धांत प्राय: द्रव्यशक्ति की परीक्षा करने वाले एवं उपयोगी है। अनेकान्त
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