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कृतित्व / हिन्दी
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ - 'चहत - सियपक्खे तेरसिए रत्तिये'। 'तिसिला देवीय' । 'कुण्डपुरपुरवरिस्सर सिद्धत्थक्खत्तियस्स णाहकुले' । (जयधवलाटीका - भाग 1 पृष्ठ 78 ) | श्री महावीर के पिता महराज सिद्धार्थ कुण्डलपुर (कुण्डपुर) नगर के अधिपति कहे जाते थे । उनकी माता प्रियकारिणी अथवा त्रिशला देवी, वैशाली नगर के अधिपति महाराज चेटक की सुपुत्री, उनकी सातपुत्रियों में ज्येष्ठ पुत्री प्रसिद्ध थी । प्राचीन काल में विहार प्रदेश को विदेह कहा जाता था । भारत वर्ष के विहार या विदेह प्रदेश मे, कुण्डपुर अथवा कुण्डलपुर नगर में तीर्थंकर महावीर का जन्म हुआ था। इसका प्रमाण 'सिद्धार्थनृपतितनयो भारतवास्ये विदेह कुण्डपुरे' ( निवार्ण मक्ति ) । 'अथ देशोऽस्ति विस्तारी, जम्बूद्वीपस्य भारते । विदेह इति विख्यातः स्वर्गखण्ड समाश्रिया । सुखाम्मः कुण्डमामाति, नाम्ना कुण्डपुरं पुरम् ॥'
(हरिवंशपुराण - सर्ग 2 श्लोक 1, 5)
वीर जन्म कुण्डली में ग्रहों की उच्च स्थिति
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१ सू. बु.
२ शु.
१० के.मं.
४ रा. वृ.
७ श.
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(श्री वर्धमान महावीर ले, दिगम्बर दास जैन सहारनपुर पृ. 245 )
वेधीर वीर वसुधा पर आये समय की समस्या को हल करने के लिए वे प्रतापी वीर दिवाकर त्रिशला के उदरपर्वत से उदित हुए थे हिंसा का अंधकार मिटाने के लिए। वे करुणासागर आये थे । तृष्णा की ज्वाला से सन्तप्त प्राणियों को संतोषामृत का पान कराने के लिए। वे शान्ति के दूत अवतरित हुए थे अन्याय की चक्की में पिसती हुई जनता को शान्ति देने के लिए। वे महात्मा पधारे थे मूक प्राणियों के करूणास्वर को सुनकर उन्हें जीवनदान करने के लिए। वे अहिंसा के नेता पधारे थे अहिंसा का डंका बजाने के लिए। वे धर्मवीर थे, कर्मवीर थे, युगवीर थे, धीर वीर थे और महावीर थे ।
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६ च.
ऐतिहासिक प्रमाण -
तीर्थंकर महावीर ऐतिहासिक महापुरूष थे। ईशा से लगभग 600 वर्ष पूर्व महावीर ने अपने परम जन्म से भारत के बिहार प्रान्त को पवित्र किया था । उनका अधिकांश जीवन विहार प्रान्त में ही व्यतीत हुआ
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