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व्यक्तित्व
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ उद्भट विद्वान का व्यक्तित्व
अरविन्द कुमार शास्त्री, संगीतकार सागर पंडित दयाचंद जी साहित्याचार्य एक अनोखे प्रतिभा के धनी पाण्डित्य परोपकारी विद्वान थे जिन्होंने अपने जीवन में निस्वार्थ भाव से एवं लगनपूर्वक देश के कोने कोने में जैनधर्म का प्रचार - प्रसार किया तथा समाज को अमूल्य सेवाएं प्रदान की। आप सिद्धांत, तथा साहित्य के उद्भद विद्वान थे, आपके पढ़ाने की शैली सबसे अलग थी यदि आपने किसी भी विषय को एक बार पढ़ा दिया वह विषय विद्यार्थियों के दिमाग में बैठ जाता था, यह मेरा अनुभव स्वयं का प्रयोग किया हुआ है। निम्न लिखित विशेषताएँ पंडित जी के व्यक्तित्व में थी -
1. स्वाभिमानी - आपने अपने जीवन में सबसे ज्यादा महत्व स्वाभिमान को दिया, किसी भी परिस्थिति में आपने कभी समाज के सामने ऐसा कार्य नहीं किया जिससे आपको नीचा देखना पड़ा हो, क्योंकि आप सुदृढ़ एवं कार्य के प्रति लगन शील है। आपमें आत्मनिर्भरता महात्मा गाँधी जैसी थी आपमें अहंकार नाम की कोई भी बात नहीं थी।
2. शास्त्रज्ञ - आप अपने विषय के ज्ञाता थे सिद्धांत, न्याय, दर्शन, साहित्य, प्राकृत आदि विषयों के पूर्ण जानकार एवं वेत्ता थे। आपसे किसी भी विषय में चर्चा करें उसका उत्तर शास्त्रानुसार सटीक होता था। चारों अनुयोगों का ज्ञान भी आपमें पूर्ण रूपेण झलकता था।
3. निष्ठावान एवं कर्मठ - आपने अपने कार्य के प्रति लगन एवं निष्ठा के साथ जीवन को सुचारु रूप से व्यतीत किया । आपको जब जो कार्य करना होता था कर्मठता के साथ किया, आपका कहना था जो समय निकल जाता है फिर वह समय कभी वापिस नहीं आता। आपने सभी विद्यार्थियों को यही पाठ पढ़ाया था जिसने भी आपके जीवन की मिशाल को अपने जीवन में अपनाया है आज वह किसी न किसी उच्च पद पर कार्यरत है।
4 नि:स्वार्थ भाव एवं ईमानदार - आपके अंदर छल कपट किंचित मात्र भी नहीं था स्वार्थ भाव से आपने कभी भी कोई कार्य नहीं किया | ईमानदारी से आपने उच्च पद पर रहकर उसका निर्वाह किया चूंकि व्यक्ति स्वार्थी होता है लेकिन आपमें ऐसा दुर्गुण कभी देखने में नहीं आया है। अत: आप नि:स्वार्थी एवं ईमानदार विद्वान थे।
5. सादा जीवन उच्च विचार - आपका जीवन विल्कुल सादा एवं उच्च विचार महात्मा गाँधी जैसे थे जिस प्रकार साधु का जीवन होता आपका जीवन भी उसी प्रकार सादगीपूर्वक बीता। चूंकि सद्
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