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व्यक्तित्व
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ
तुल्य थे | उन्होंने सद् संस्कारों से युक्त शिक्षा देकर मुझपर बहुत बड़ा उपकार किया है। मैं उनके उपकार का ऋणी हूँ। उनके चरणों में हमेशा विनयावनत रहा और उनका आशीर्वाद पाता रहा हूँ अंत मैं यही कामना करता हूँ कि बार- बार डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य गुरु के रूप में मेरा मार्गदर्शन करने हेतु मिलते रहे। वे आज भौतिक शरीर से भले ही जीवित न हो किन्तु वे यशः शरीर से आज भी जीवित है। उनके द्वारा दिये गये आशीर्वाद एवं स्नेह को मैं शब्दों में व्यक्त नहीं कर सकता ।
गुरुचरणों में विनयावनत
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" श्रदेय पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य जी '
जैन समाज का चमकता ध्रुवतारा
पं. ऋषभ कुमार शास्त्री अधीक्षक भारत शासन, सागर
वर्तमान के वैज्ञानिक युग में अविष्कृत - आविष्कारों से जहाँ एक ओर स्थान एवं समय की दूरियाँ हुई वहीं मन की दूरियाँ बढ़ रही है। हिंसा व अत्याचार का तांडव नृत्य दिन प्रति दिन वृद्धिंगत हो रहा है। ऐसे समय में राम और महावीर जैसे अगणित नर रत्नों को जन्म देने वाली रत्नगर्भा धरा पर "शाहपुर नगर की भूमि पर सबसे प्रतिष्ठित परिवार में एक होनहार बालक का जन्म होता है । बालक चंन्द्रमा की कलाओं की तरह निरंतर बढ़ता हुआ एवं लक्ष्य की ओर अग्रसर होता गया, एवं अत्यल्प समय में पं. दयाचंद साहित्याचार्य के रूप में अविस्मरणीय हो गया । पंडित जी जीवन भर उद्देश्य प्रधान होने से धनहीन रह गये, परन्तु कभी विवाद के लक्षण प्रगट नहीं हुए। जब भी बताई यथार्थ बात ही बताई समाज माने या न माने । विद्यालय ज्ञान के आयतन है। पंडित जी विद्यालय को अपना सर्वस्व समझते थे । सतत अध्ययन एवं अध्यवसाय से अनुपम पांडित्य प्राप्त किया था। पंडित जी विद्यालय के गौरव थे ।
"संसार में भी सार है एवं मोक्ष भी सार है " संसार में रहकर मनुष्य भव में संयम धारण कर मोक्ष प्राप्त हो सकता है। पंडित जी कहा करते थे कि मोक्षमार्ग की कथा करने की अपेक्षा मोक्षमार्ग में लगजाना श्रेयस्कर है। ज्ञानं मोक्षमार्ग में साधक है ।
पंडित जी सम्यक विवेचना द्वारा मोह अभिभूत मिथ्यात्व भ्रमितं कषायांध कुतर्क जाल में उलझे मानव मस्तिष्क को युक्तिपूर्ण तरीके से राह पर आरुढ कर सत्य तथ्य से परिचित कराने में निपुण थे । तर्कपूर्ण शैली में विवेचना पंडित जी के अगाध ज्ञान गरिमा का परिचायक है। उनकी शैली से आवाल वृद्ध सभी लाभान्वित हुए हैं। उनके द्वारा ज्ञान की दिव्य आभा जगती तल पर समय- समय पर बिखेरी गई ।
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