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शुभाशीष/श्रद्धांजलि
साहित्य मनीषी की कीर्ति स्मृतियाँ प्रेरणादायी व्यक्तित्व
दिनेश कुमार जैन, एडव्होकेट ___ डॉ. पं. दयाचंद जी साहित्याचार्य जैन जगत् के अत्यंत सहज मुनिभक्त विद्वान तो थे ही परंतु उनके नियमित तथा ज्ञानदान के अद्भुत योगदान से पूरा बुन्देलखण्ड प्रभावित रहा।
जीवन के संध्याकाल में शरीर की शिथिलता के उपरांत भी उनके मन में अपने कल्याण करने की भावना के साथ समाज की धार्मिक जागरूकता के प्रति सतत् प्रयत्नशीलता थी। मेरे प्रति उनका बड़ा अनुराग था। भारतीय ज्ञानपीठ द्वारा प्रकाशित शोध ग्रंथ को उन्होंने मुझे बड़े आत्मीय भाव से अपने हस्ताक्षर सहित सप्रेम भेंट किया। पूज्य वर्णी जी की साधना स्थली "उदासीन आश्रम' में वर्षों उन्होंने प्रात:काल स्वाध्याय जिनवाणी का स्वाध्याय कराकर अमृतपान कराया। सदा गुण ग्रहण करने वाले सहज सरल एवं धार्मिक संस्कारों से ओतप्रोत प्रेरणादायी व्यक्तित्व के गुणों के प्रति मैं सदा श्रद्धावनत् रहूँगा।
मेरे नाना जी की सुखद स्मृति
नीरज जैन, नितिन जैन
कोरबा (म.प्र.) डॉ. पं. दयाचन्द्र जी मेरे नाना जी तो थे ही, पर एक विद्वान होने के नाते और उनके गुणों के प्रति मैं नतमस्तक हूं, कभी कभी उनके स्मरण में आंसू भी आ जाते हैं क्योंकि बचपन में हमें अपने नाना जी का बहुत स्नेह मिला है ऐसे सहज और सरल स्वभावी व्यक्ति संसार में विरले ही होते हैं मुझे पढने लिखने की बहुत प्रेरणा करते थे कि पढकर इंसान बनो। उन्हीं की शुभकामनायें आज हमारे जीवन में फलित हो रही है नाना जी को स्मृति में रखते हुये इस स्मृति ग्रन्थ के रचने में अपनी शुभांजलि प्रेषित करते हैं।
मेरे नाना जी की मधुर स्मृति
प्रदीप कुमार, पंकज कुमार जैन
सिरोंज (म.प्र.) नाना जी हमारे बीच से चले गये लेकिन वे अपनी मधुर स्मृतियों की अमिट छाप हमारे जीवन पर छोड गये, उनके ही दिये हुये संस्कार हमारे जीवन का मार्ग प्रशस्त कर रहे हैं। हमें हर पल, हर कदम पर उनकी ही धार्मिक शिक्षा याद आती है हमारा जीवन धर्म मय बनाने में उनका ही संस्कार है, उनके ही बताये हुये मार्ग पर चलते हुये, हम उनके आगामी भव की सुख शांति की कामना करते हैं इसी वाणी के साथ विराम लेते हैं।
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