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________________ ३२ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ' में प्राप्त उल्लेखों के अनुसार कवि वि०सं० १६५२ में खम्भात में गये । गीत में कार्तिक शुक्ला चतुर्थी तिथि का निर्देश भी है, जिससे पता चलता है कि वह चातुर्मास उन्होंने खंभात में व्यतीत किया था। जैसलमेर के खरतरगच्छ-पंचायती-भंडार में विद्यमान कवि की स्वलिखित 'मंगलवाद २ रचना की अन्तिम पंक्तियाँ यह बात स्पष्ट करती हैं कि वे वि० सं० १६५३ में पद-यात्रा करते हुए इलादुर्ग पहुँचे थे। सप्तदश राग गर्भित श्री जैसलमेर मण्डन पार्श्व-जिनस्तवनम् में प्राप्त संकेतों के अनुसार कवि वि० सं० १६५६ में जैसलमेर आए और अक्षय तृतीया को वे जैसलमेर में रहे । विक्रम संवत् १६५७ में जिनसिंहसूरि के साथ चैत्रकृष्ण चतुर्थी तिथि को आप आबू पहुँचे तथा वस्तुपाल और तेजपाल द्वारा बनाये गये अद्वितीय जिनमंदिरों का दर्शन किया। यह सारा उल्लेख ' श्री आबूतीर्थ स्तवन" में प्रात होता है। 'शत्रुञ्जय आदिनाथ भास " के अनुसार कवि ने वि० सं० १६५८ में पुन: शत्रुञ्जय तीर्थ के दर्शन कर अपने को कृतार्थ किया। चैत्रपूर्णिमा का इस तीर्थ में एक विशेष महत्त्व है । अतः कवि ने यह दिन यहीं पर व्यतीत किया । 'चौबीसी ६ की रचना वि०सं० १६५८, विजयादशमी को पूर्ण हुई। इसका अभिप्राय यह है कि वर्षावास कवि ने अहमदाबाद में सम्पन्न किया । 'अष्टापदस्तवन" में वे यह उल्लेख भी करते हैं कि इसी वर्ष मनजी शाह ने यहाँ अष्टापद तीर्थ की रचना कराई । यहाँ से इन्होंने पाटण की ओर विहार किया होगा, क्योंकि नरसिंह भट्ट प्रणीत 'श्रवण- भूषण' ग्रन्थ की कवि के हाथ की लिखी पाण्डुलिपि प्राप्त होती है,' जिसमें वि० सं० १६५९, चैत्र पूर्णिमा के दिन आपने पाटण में इस ग्रन्थ को लिखा है, ऐसा संकेत प्राप्त होता है। 'शाम्बप्रद्युम्न - चौपाई' के आधार पर कवि पाटण से खंभात आए थे और यहीं चातुर्मास व्यतीत करते हुए उन्होंने इस ग्रन्थ को वि० सं० १६५९, विजयादशमी को पूर्ण किया था । 'नागौर मण्डन पार्श्वनाथ स्तवनम् " १० में उपलब्ध उल्लेखानुसार वे वि० सं० १६६१, चैत्रवदि पंचमी को नागौर गये थे । वि० सं० १६६२ में विभिन्न स्थलों में पादभ्रमण १. द्रष्टव्य - वही, पृष्ठ ३६५-३६८ २. मंगलवाद, प्रशस्ति (अप्रकाशित) ३. द्रष्टव्य समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ १४६ - १५३ ४. वही, पृष्ठ ७७-७८ - समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ ६८-७० ५. द्रष्टव्य ६. वही, पृष्ठ ३-१४ ७. द्रष्टव्य - समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ ६१-६२ ८. मोतीचन्द खजांची, बीकानेर के संग्रह में उपलब्ध ९. द्रष्टव्य • शाम्व- प्रद्युम्न - चौपाई, ढाल २१, छन्द ४ ( अप्रकाशित ) - समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ १८० - १८१ १०. द्रष्टव्य Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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