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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ५.२.१० आख्यान-नी। राजा राज करइ जय नामे।
- द्रौपदी-चौपाई (२.९) ५.२.११ आज धराहूँ धुंधलउ।
- थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.३) ५.२.१२ आदर जीव क्षमा गुण।
- पुण्यसार रास (११) ५.२.१३ आवउ जुहारो रे अझारउ पास।
- सीताराम-चौपाई (५.१) ५.२.१४ आवउ रे सहियर सवि मिली जी।
- जिनसागरसूरि-गीतानि (८) ५.२.१५ आव्यउ तिहां नरहर।
__- सत्रह प्रकार जीव अल्प-बहुत्व गर्भित स्तवनम् (२) ५.२.१६ आहे पोस पढम पखि दसमी निसि जिण जायउ।
- उपधानतप स्तवनम् (२) ५.२.१७ इक दिन महाजन आवे ए।
- क्षुल्लकऋषि-रास (१); नलदवदन्ती-रास (२.५) ५.२.१८ इडर आंबा आंबिली।
- चम्पकवेष्ठि-चौपाई (२.६) ५.२.१९ इडरगढ नी।
___ ~ थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.७) ५.२.२० इणइ गामड़ि वाड़ी वलि, के आम्बा रावला रे।
- मृगावती-चौपाई (३.३) ५.२.२१ इम सुणि दूत वचन कोपियउ राजा मन्न।
- सीताराम-चौपाई (५.६); वल्कलचीरी-रास(९) ५.२.२२ इडरियै-र उलगाणइ आबू उलग्यउ आ.।
- सीताराम-चौपाई (३.६) ५.२.२३ उपशम तरु छाया रस लीजइ।
- चार प्रत्येकबुद्ध रास (४.२); युगमंघर जिन गीतम्. ५.२.२४ उमटि आइ बदली।
___ - चम्पकवेष्ठि चौपाई (२.३) ५.२.२५ उमटि आई मारु बादली म्हांका ढोलणा वरसाण लागउ मेह।
- थावच्चासुत ऋषि चौपाई (२.६)
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