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________________ ३५० महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व प्रद्युम्न को लेकर चम्पत हो गया। रहस्य खुलने पर रुक्मिणी पुत्र-वियोग में आकाशपाताल एक करती हुई विलाप करने लगी। उसके इस शोकपूर्ण क्रन्दन से भला, किसका चित्त द्रवीभूत नहीं होगा - जीवन प्राण अम्हारइ ए पुत्र, पुत्र बिना प्राण छूटइ रे। हासी थी वेषासी थायइ, अति ताणुं पिण त्रुटइ रे॥ रे रे देव दुष्ट दोषी जन, मइ तुझ स्युं अपराध्यँ रे॥ पुत्र वियोग कियउ कां पापी, स्युं कहिनइ तइ साध्यउ रे॥ नयणे देव निधान दिखाडी, हाथ थी झड़पी लीधुं रे। अनुपम पुत्र रतन उदाल्युं, आवडुं दुख का दीधुं रे॥ नल और दमयन्ती जब अयोध्या का त्याग करके जाते हैं, उस समय परिजन, प्रजाजन, दासियाँ इत्यादि उन्हें पहुँचाने के लिए आते हैं। उन सभी लोगों की शोकविह्वलता के प्रसंग को कवि ने अत्यन्त करुण बना दिया है। इसी प्रकार नेमि एवं राजुल से संबंधित गीतों में नेमि के विवाह में सम्मिलित स्वजनों के भोजन निमित्त बन्दी बनाये निरपराध पशुओं की करुण-चीत्कार सुनकर नेमि करुणाभिभूत होकर बिना विवाह किये ही वापस लौट जाते हैं और राजुल विलाप करने लगती है। पाठक का हृदय भी उनके इस चित्रण से करुणाप्लावित हो जाता है। भगवान् महावीर के निर्वाण हो जाने पर गणधर गौतम द्वारा किये गये शोक का तो कवि ने अत्यधिक हृदयग्राही चित्र उपस्थित किया है। इसी तरह पुत्र-वियोग में माता मरुदेवी द्वारा व्यक्त निम्नांकित वचन भी मर्मस्पर्शी हैं - सुरनर कोड़ि सुं परिवरयउ, हींडतउ वनिता मझार रे। आज भमइ वन एकलउ, ऋषभ जी जगत् आधार रे ।। राज लीला सुख भोगियउ, म्हारउ रिषभ सुकुमाल रे। आज सहइ ते परिषहा, भूख तृषा नित काल रे॥ हस्ति ऊपर चड्यउ हींडतउ, आगलि जय-जयकार रे। आज हीडइ रे अलवाहणउ, चिहुं दिसि भमर गुंजार रे॥ सेज तलाइ में पउढ़तउ, वर पटकूल विछाइ रे। आज तउ भूमि संथारड़उ, बइठड़ा रयणी विहाइ रे। १. सांब-प्रद्युम्न चौपाई (१.४.४, ७-८) २. द्रष्टव्य - नलदवदन्ती रास (२.२) ३. द्रष्टव्य - नेमि व राजुल से संबंधित समस्त गीत (समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, पृष्ठ १११ से १४२ तक प्रकाशित) ४. द्रष्टव्य – श्री गौतम स्वामी गीतम् (१-६) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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