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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
(गज-वर्णन) सीस सिंधुरीया प्रबल मद पूरीया, भमर गुंजार भीषण कपोला, सुंडि उलालता शत्रु रल पालता, हाथीया करत हालक हलोला। घंट वाजे गले रहे एकठा मिले, मेघ काली घटा जाणि दीसे, ढलकती ढाल ने सीस चामर ढले, मत्तमातंग रहे भर्या रीसे। हालता चालता जाणिकरि पर्वता, मुहिर गंभीर गरजार करता, चंडप्रद्योतराजा तणै कटक में, लाख दो हस्ति मदवारि झरता।
(अश्व-वर्णन) देश काश्मीर कंबोज काबिल तणा, खेत्र सुरसान सेंधा सुचंगा, अचल उत्तरपथा पवन पाणी यथा, भलभला कच्छि तेजी तुरंगा। नीलडा पीलडा सबज कंबोजना, रातड़ा रंगि कविलाकिहाडा, किरडीया कालुया घुसरा दूसरा, हांसला वांसिला भागजाडा। पवन वेग वारवर्या फोज आगेधर्या, चालता जाणि चित्रामलिख्या, एहवा अश्व उज्जैणिराजा तणे, कटक शतसहस पांच संख्या।
(पायक-वर्णन) सिर धरे आंकुडा बाहि पहरे कडा, भाजणी परतरा बोल चाल्या, एकथी एकडा कटक आगलि खडा, सूरवीर बांकडा सुभटपाला। सबल कांघाल मूंछाल जिन सालिया, लोहमय टोप आटोप धारा, पंच हथियार हाथे लइ बाथेभिडइ, भीमसम भलभला पालिहारा। तीरती कसघरा अभंग भट आकरा, सहस्र जोधार संग्रामशूरा, चंडप्रद्योत राजा तणे एहवा, सातकोडि साथि पायवक पूरा।
(रथ-वर्णन) निज निजे नाम नेजा धजा फरहरे, घरहरे घोर नीसाण वाला, जाहजोसण कीया लाख बे रथ कीया, साथ में चंडप्रद्योत राजा। चालीया कटकदल जाणि चक्रवर्तिका धुसरी धूलि उडि गयणी लागी, समुद्रजल उछल्या सेष पणि सलसल्या, गुहिर गोपीनाथ की नींद भागी। इंद्रनै चंद्र नागेंद्र पण चमकीया, लंकगढ पौल ताला जडाया, सबल सीमाल भूपाल भाजी गया, चंउ प्रद्योत राजानराया। आवीयउ चंड प्रद्योत उतावलउ, देश पंचालरी सीम माहे , दुमहराजा न पिण देइ दमामा चड्यो आवी साम्हो अड्यो मन उछाहे। फौज फोजे मिली भाटभट उछली, सबल संग्राम भारथ मंडाणो,
भलभला अभंग भड भूप भूपे भिड्या, सुभट सुभटे अड्या देखी टाणो॥ १. चार प्रत्येकबुद्ध चौपाई (२.५.१-१५)
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