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समयसुन्दर की भाषा
व्यंजन परिवर्तन
तद्भव शब्दों में वर्त्तमान समय में प्रयुक्त शब्दों की तुलना में जो व्यञ्जनों में परिवर्तन दृष्टिगत होते हैं, उनमें कुछ प्रमुख परिवर्तन इस प्रकार हैं
उ व चउदह> चवद',
घ > ह/य > न जघन्य जहन्न, ३
ज्ञ न्य ज्ञान > न्यान, ५
न ण भुवनेश्वर भुवणेसर, ७ पपीहा बब्बीहा, १
>
बात > वात, ११
ब्रह्मचर्य ब्रह्मचरिज, १३
निम्न व्यञ्जन - परिवर्तन भी दर्शनीय हैं - प्रणाम परणाम, १५ नष्टन, १८
-
क य सकल > सयल
छह अंगलूछन> अंगलूहण, ४ दय निदान नियाणउ, ६
>
प व कोट्टपाल कोट्टवाल, ' ब > व तलाब > तलाव,
१०
>ज तिर्यंच > तिरजंच १२ श स शाश्वत सासताए१४
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९. वही, घंघाणी तीर्थ स्तवनम् (३.४)
२ . वही, चत्तारि - अट्ठ-दस दोयपदविचार गर्भित स्तवनम् (६) ३. वही, चत्तारिअट्ठदसदोय पदविचार गर्भित स्तवनम् (११)
४. वही, श्री ज्ञान पंचमी वृहत् स्तवनम् (१८)
५. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, ज्ञान पंचमी वृहत् स्तवनम् (३) ६. वही, सत्रह प्रकार जीव अल्पबहुत्वगर्भित स्तवनम् (३, १८) ७. वही, चत्तारिअट्ठदसदोयपदविचार गर्भित स्तवनम् (७) ८. वही, पद्मावती आराधना (१४)
९. वही, श्री चौबीस जिन सवैया (२२)
१०. वही, श्री घंघाणी तीर्थ स्तवनम् (२)
११ . वही, श्री घंघाणी तीर्थ स्तवनम् (१)
१२ . वही, गति - आगति २४ दण्डक विचार स्तवनम् (५) १३. वही, श्री ज्ञानपंचमी वृहत्स्तवनम् (४)
१४. वही, चत्तारि अट्ठदसदोयपद विचारगर्भित स्तवनम् (१४) १५. वही, चत्तारिअट्ठदसदोयपदविचार गर्भित स्तवनम् (१) १६. वही, श्री घंघाणी तीर्थ स्तवनम् (४.१)
पार्श्व पास, १६ उत्कृष्ट > उक्किट्ठ, १७ प्रत्यक्ष > परतिख १९ हृदय हीय. २०
१७. वही, चत्तारि अट्ठदसदोयपदविचार गर्भित स्तवनम् १८. वही, चत्तारि अट्ठदसदोयपदविचारगर्भित स्तवनम् (११) १९. वही, सत्रह प्रकार जीव अल्पबहुत्व गर्भित स्तवनम् (कलश, २२) २०. वही, श्रावकदिनकृत्यकुलकम् (१४)
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