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________________ समयसुन्दर की भाषा २७९ तद्भव ___ तक्षशिला > तखिसिला, श्वसुरालय > सासरे, स्वर्णकार > सोनार, द्विमुख > दूमुह, स्वामी > सांई१०, मक्खन > माखण,११ अन्त:पुर > अंतेउर१२, नगरी > नयरी१३, यूका > नँ, १४ लिक्षा > लीख१५, अग्नि > आगि१६, जिह्वा > जीभ,१७ आश्चर्य - अचरिज१८, हस्त > हाथ१९, आदि....आदि। देशज चेला२०, हाली२१, उंदरि२२ आदि। समयसुन्दर की हिन्दी भाषा में तद्भव शब्दों का बाहुत्य है। उनकी हिन्दी में मान्य सभी ध्वनियों का प्रयोग मिलता है। लेखन पद्धति में कुछ अन्तर भी दिखाई पड़ता है। ङ्, ञ्, ण, न्, म के स्थान पर अनुस्वार(); श्, ष् के लिए स्; ष् के लिए ख् भी ; ऋ, ऋ के लिए रि; ज्ञ के लिए न्य का सामान्यतया प्रयोग हुआ है। क्वचित स्थानों पर १. वही, उपधान गीतम् (२) २. वही, उदयनराजर्षि गीतम् (४) ३. वही, श्रावकबारहव्रत कुलकम् (१०) ४. वही, शुद्ध श्रावकदुष्करमिलन गीतम् (९) ५. वही, क्षमा छत्तीसी (१) ६. वही, बाहुबलि गीतम् (१) ७. वही, वैराग्य सज्झाय (५) ८. वही, पारकीहोड़निवारण गीतम् (२) ९. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, दुमुह प्रत्येकबुद्ध गीतम् (२) १०. वही, परमेश्वरभेद (६) ११. वही, पद्मावती-आराधना (२१) १२. वही, जम्बूस्वामी गीतम् (९) १३. वही, चुलणी भास (१) १४-१५. वही, पद्मावती-आराधना (२५) १६. सीताराम चौपाई (९.२.१) १७. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, सुभद्रासती गीतम् (१) १८. वही, कलावती सती गीतम् (६) १९. वही, कलावती सती गीतम् (३) २०. वही, गुरु दुःखित वचन (१) २१. वही, पद्मावती-आराधना (१७) २२. वही, पद्मावती-आराधना (२४) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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