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फारसी
तखत्त', पातसाह, मर्द, दुकाण, खूब
विविध भाषाओं के शब्द - प्रयोग से समयसुन्दर की शब्दावली समृद्ध हुई है। साहित्य और जन-जन से उनका निकटतम संबंध होने के कारण तत्सम, तद्भव और देशज - तीनों प्रकार का शब्द-समूह उनकी भाषा में प्रयुक्त है । यथा -
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तत्सम
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महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व
आदित्य', डमरू, वृषभ, सुरतरु, राक्षस १०, पुरुष ११, भोगी १४, शिष्य १५, औषध १६, वैद्य १७, विमान १८, साधु१९, यौवन २०, महिषी २३, कस्तूरी, नारी, समता, विशेषता, क्षमा' आदि ।
१०. वही, नर्मदासुन्दरी गीतम् (२)
११. वही, दवदंती सती भास (८) १२ . वही, दमयन्ती सती गीतम् (१) १३. वही श्रावकदिनकृत्यकुलकम् (१) १४. वही, परमेश्वरभेद गीतम् (८) १५. वही, गुरुदुःखितवचन (१) १६-१७. वही, उदयनराजर्षि गीतम् (१७) १८. वही, मेघरथराजागीतम् (२०) १९. वही, प्रस्ताव सवैया छत्तीसी (१) २०. वही, जम्बूस्वामी गोत (२) २१. वही, पुण्य छत्तीसी (१) २२. वही, जिनचन्द्रसूरि आलिजा गीतम् २३. वही, दशार्णभद्रगीतम् (६)
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१-२-३-४. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, ऋषि महत्त्व गीतम् (१)
५. वही, ऋषि महत्त्व गीतम् (२)
६. समयसुन्दर कृति कुसुमांजलि, श्री आदित्ययशादि आठ साधु गीतम् (२)
७. वही, इलापुत्र गीतम् (१०)
८. वही, करकंडु प्रत्येकबुद्ध गीतम् (४) ९. वही, श्रीजिनसिंहसूरिगीतानि (२८.३)
वन १२, पुण्य २१,
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श्रावक १३. माला २२,
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