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________________ » س س पद्य ३ س x م س س २५८ महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ६.६.७२ दान-गीतम् पद्य ४ ६.६.७३ शील-गीतम् पद्य३ ६.६.७४ तप-गीतम् पद्य ३ ६.६.७५ भावना-गीतम् पद्य ३ ६.६.७६ दान-शील-तप-भावना गूढा गीतम् ६.६.७७ तूर्य वीसामा गीतम् (तीसरा पद्य अपूर्ण) पद्य३ ६.६.७८ प्रीति दोहा पद्य ४ ६.६.७९ फुटकर सवैया पद्य ३ ६.६.८० सामायिक गीतम् पद्य ५ ६.६.८१ गुरु-वन्दन गीतम् पद्य २ ६.६.८२ अन्तरंग-विचार गीतम् पद्य ४ ६.६.८३ साधु-गुण गीतम् पद्य ३ ६.६.८४ वीतराग सत्यवचन गीतम् पद्य३ ६.६.८५ ऋषि-महत्त्व गीतम् पद्य २ ६.६.८६ श्रीसंघ-गुण गीतम् पद्य३ ६.६.८७ चार मंगल गीतम् पद्य ५ ६.६.८८ चार मंगल गीतम् पद्य ५ ६.६.८९ चार शरणा गीतम् पद्य३ ६.६.९० अठारह पापस्थानक-परिहार गीतम् पद्य ३ ६.६.९१ चौरासीलक्ष जीवयोनिक्षामणा गीतम् पद्य ३ ६.६.९२ हीयाली गीतम् पद्य ४ ६.६.९३ हीयाली गीतम् पद्य ५ ६.६.९४ हीयाली गीतम् पद्य ४ ६.६.९५ राती जागी गीतम् पद्य ४ ६.७ विरह गीत कविवर्य समयसुन्दर विरचित विरह गीत कुछ तो नेमि और राजीमती से संबंधित हैं और कुछेक स्थूलिभद्र एवं कोशा से। अत: हम विरह-गीतों का परिचय निम्नलिखित शीर्षकों में रखकर प्रस्तुत करेंगे - ६.७.१ राजुल के विरह गीत ६.७.२ कोशा के विरह गीत ६.७.१ राजुल के विरह गीत नेमि और राजीमती से संबंधित घटना इस प्रकार है - م م له سه » » » Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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