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________________ २५२ की बात कही गई है। इसी से आत्मा रूपी हंस का दर्शन होता है । गीत ८ पद्यों में है । इसका रचना काल अनिर्दिष्ट है । महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व ६.६.७ श्रावक बारहव्रतकुलकम् जिनोपदिष्ट मोक्षमार्ग पर चलने की जिनमें अभीप्सा है, वे श्रावक / श्राविका कहलाते हैं । श्रावक / श्राविका के चरित्र की श्रेष्ठता के लिए तीर्थङ्करों ने बारह व्रत प्ररूपित किये हैं। उनका आकलन इस प्रकार किया जाता है। स्थूल प्राणातिपात विरमण, स्थूल मृषावाद विरमण, स्थूल पांच अणुव्रत अदत्तादान विरमण, स्थूल मैथुन विरमण एवं स्थूल परिग्रह विरमण । तीनगुणव्रत – दिक्परिमाण, भोगोपभोग विरमण और अनर्थ दण्ड विरमण । चार शिक्षा व्रत सामायिक, देशावकासिक, पौषधोपवास तथा अतिथि -- संविभाग । - कवि ने प्रस्तुत गीत में प्रत्येक व्रत का विवेचन किया है । इस गीत की रचना वि० सं० १६८९ में बीकानेर में हुई थी । गीत में १५ पद्य हैं । ६.६.८ श्रावक दिनकृत्य कुलकम् प्रस्तुत रचना में १५ गाथाएँ हैं । उनमें श्रावक की दिनचर्या और उसके पालनीय अन्य कर्त्तव्यों का वर्णन किया गया है। रचना का रचनाकाल अज्ञात है । ६.६.९ शुद्ध श्रावक दुष्कर मिलन गीतम् प्रस्तुत गीत का रचना - काल अनुल्लिखित है । यह गीत २१ पद्यों में गुम्फित है । इसमें शुद्ध श्रावक की दुर्लभता, श्रावक के इक्कीस गुण, श्रावक की दिनचर्या तथा उसके लिये आवश्यक करणीय कार्यों का विवेचन किया गया है। ६. ६.१० क्रिया - प्रेरणा गीतम् इस गीत में कवि ने अपने शिष्यों को साधनात्मक क्रियाएँ करने की प्रेरणा दी है, क्योंकि आचरण - शून्य ज्ञान पंगु है क्रिया करउ चेला क्रिया करउ, क्रिया करउ जिम तुम्ह निस्तरउ । क्रियावंत दीसइ फूटरउ, क्रिया उपाय करम छूटरउ । पांगलउ ज्ञान किस्यउ कामरउ, ज्ञान सहित क्रिया आदरउ ॥ कवि समयसुन्दर ज्ञानवादी होने के साथ-साथ क्रियावादी भी थे गीत से सहज प्रकट होता है । गीत में ८ पद्य हैं। इसका रचना-काल अज्ञात है। Jain Education International - ६.६.११ अन्तरंग - श्रृंगार गीतम् प्रस्तुत गीत में एक तरुणी ने अपने आध्यात्मिक शृंगार का अपनी सखी के सम्मुख चित्रण किया है । कवि की यह रचना अध्यात्मरस- युक्त एवं सजीव है । For Private & Personal Use Only - यह प्रस्तुत www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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