________________
समयसुन्दर का जीवन-वृत्त ६. माता-पिता
समयसुन्दर के माता-पिता कौन थे, उनका उल्लेख श्री मोहनलाल दलीचंद देसाई ने अपने कविवर समयसुन्दर' नामक शोधयुक्त लेख में नहीं किया है। उपाध्याय लब्धिमुनि, महोपाध्याय विनयसागर आदि अन्य साहित्यकारों ने कवि के माता-पिता के नामों का निर्देश दिया है। कवि ने स्वयं अपने माता-पिता के नाम की कोई सूचना नहीं दी है, किन्तु दीक्षितावस्था के पश्चात् अपने माता-पिता के प्रति हृदयहारी आस्था अवश्य व्यक्त की है। वे स्वयं कहते हैं
माता-पिता प्रणमुं सदा, जनम दियो मुझ जेण। वांदुं दीक्षा-गुरु वली, धरम-रतन दियो तेण॥२ माता-पिता पिण मन धरि, दीधौ जिण अवतार।
नाम लेई नै गुरु नमुं, दीक्षा न्यान दातार ॥ आपके माता का नाम लीलावती था, और पिता का नाम रूपसिंह (रूपसी) था। इसका उल्लेख परवर्ती कवियों में वादी हर्षनन्दन ने 'रूपसीजी रा नन्द' और देवीदास ने 'मातु लीलादे रूपसी जनमिया',५ उपाध्याय लब्धिमुनि ने 'रूपसी जनको माता लीलादेव्यभवद्वरा'६ शब्दों द्वारा किया है। माता-पिता के अतिरिक्त कवि के परिवार के सम्बन्ध में कोई संकेत प्राप्त नहीं होते हैं। ७. जाति तथा गोत्र
यद्यपि कविवर के गोत्र के सन्दर्भ में कोई स्पष्ट प्रमाण नहीं मिलता है तथापि उनकी जाति के सम्बन्ध में कुछ निर्देश अवश्य ही उपलब्ध होते हैं। महाकवि समयसुन्दर' का जन्म पोरवाल वंश में हुआ था। जैनियों में श्रीमाल, ओसवाल और पोरवाल-यही तीन जातियाँ सर्वाधिक प्रसिद्ध हैं। पोरवालों का उद्गम-स्थान भी श्रीमालनगर ही है।
१. जैन साहित्य-संशोधक, पत्रिका, मई १९२५, खण्ड २, अंक ३ २. सीताराम-चौपाई (६ १ से पूर्व दूहा १) ३. चम्पकवेष्ठिचौपाई (ढाल १ से पूर्व दूहा ३) ४. नलदवदंती-रास, परिशिष्ट ई, पृष्ठ १३७, ५. वही, पृष्ठ १३६ ६. युगप्रधान श्री जिनचन्द्रसूरि-चरितम्-पृष्ठ ९० ७. सीताराम-चौपाई, भूमिका, पृष्ठ ३४ ८. अनेकान्त, वर्ष ४, अंक ६, पृष्ठ ३९०
Jain Education International
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org