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________________ २०५ समयसुन्दर की रचनाएँ पर बालावबोध लिखने वाले लेखकों में सोमसुन्दरसूरि (वि० सं० १४३०-९९), हेमहंसगणि (सं० १५०१),संवेगदेवगणि (सं० १५१४),राजवल्लभ (सं० १५३०), मेरुसुन्दर (१६वीं शती), महोपाध्याय समयसुन्दर आदि के नाम उल्लेखनीय हैं। समयसुन्दर कृत 'षडावश्यक-बालावबोध' अन्य कृत षडावश्यक-बालावबोधों की अपेक्षा अपना विशेष महत्त्व रखता है। इसकी भाषा आदि को देखने पर यह ज्ञात होता है कि यह कृति सामान्य पाठकों के लिए सहज बोधगम्य है। वस्तुत: व्याख्याकार ने इसे सरल से सरलतर और सरलतम बनाया है। रचना अधिक बोधगम्य हो, इसके लिए व्याख्याकार समयसुन्दर ने इसमें स्थान-स्थान पर अनेक उदाहरण एवं शब्दों के एकाधिक अर्थ भी दिए हैं। 'षडावश्यक-बालावबोध' का प्रणयन राउल कल्याण के शासन काल में विक्रम संवत् १६८३ में हुआ था। कवि ने स्वयं यह निर्देश दिया है - कल्याणमिधराउल क्षितिपतो राज्याश्रियं शासति । श्रीमद्विक्रमभूतेस्त्रिवसुषग्लो संख्यके वत्सरे ॥ यह कृति वि० सं० १६८३ के चातुर्मास-काल में जैसलमेर में निबद्ध हुई थी। समयसुन्दर ने इसकी रचना विमलशी शंखवाल, हरराज, थिरुनन्दन भणसाली, संघजी भणशाली, जवराजांगज, श्री द्वो गूजर फोफलिया इत्यादि धर्मप्रेमियों के निवेदन पर की थी। उन्होंने ही लिखा है - साधुर्भाखरसीसुतो विमलसी श्री शंखवालान्वयः। सद्धर्मा हरराज एष भणसाली श्री थिरुनन्दनः॥ तद्गोत्रः किल संघजी तिसू गुणः श्री जवराजांगजः। श्री द्वो गूजर नामकः प्रवरथी: श्री फोफालीयन्वयः ।। श्री मजेसलमेरुदुर्गनगरे, पूर्व सदा वासित श्चत्वारश्चतुरा अमीकृत चतुर्मास्यां मया पाठिता॥२ विवेच्य कृति अभी तक अप्रकाशित है। इसकी पाण्डुलिपि श्री जिनकुशलसूरि ज्ञान भण्डार, रामघाट, वाराणसी एवं अभय जैन ग्रन्थालय, बीकानेर में उपलब्ध है। ६. प्रकीर्णक रचनाएँ मौलिक संस्कृत रचनाएँ, संस्कृत-टीकाएँ, संग्रह-ग्रन्थ, भाषा-कृतियाँ और बालावबोध या भाषा-टीका – इन शीर्षकों के अन्तर्गत समागत रचनाओं के व्यतिरिक्त महाकवि समयसुन्दर का फुटकर साहित्य भी प्रचुर है। बृहत् रचनाओं के अलावा उन्होंने जो छोटी-छोटी रचनाएँ लिखी थीं, उन सबको 'प्रकीर्णक रचनाएँ' शीर्षक में रखा जा १. षडावश्यक बालावबोध (प्रशस्ति) २. वही, प्रशस्ति (१-२) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
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