SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 185
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ १७० महोपाध्याय समयसुन्दर : व्यक्तित्व एवं कृतित्व इस विशद ग्रन्थ का निर्माण कवि ने कब और कहाँ किया, इसका संकेत हमें 'सीताराम-चौपाई' से प्राप्त नहीं हो पाया है। हाँ ! चौपाई के अन्त में कवि ने यह अवश्य लिखा है कि यह चौपाई मैंने रायमल के पुत्र अमीपाल, नेतसी और भतीजे राजसीसाह के आग्रह से बनाई है, लेकिन कवि ने अपनी चौपाई के आरम्भ में अपनी कतिपय रचनाओं का उल्लेख करते हुए 'नलदवदन्ती-रास' का उल्लेख भी किया है। 'नल-दवदन्ती-रास' की रचना वि. सं. १६७३ में समाप्त हुई थी। अत: यह तो बिल्कुल स्पष्ट है कि वि. सं. १६७३ के पश्चात् ही 'सीताराम-चौपाई' का निर्माण हुआ था। इस रचना के छठे खण्ड की तीसरी ढाल में कवि ने अपना जन्म-स्थान साँचौर बताया है। यही एक कृति है जिसमें कवि ने अपना जन्म-स्थान का उल्लेख किया हो। अत: यह कृति सम्भवतः सांचौर में ही निर्मित हुई होगी। सांचौरमंडन-महावीर-स्तवन' से ज्ञात होता है कि कवि वि.सं. १६७७ के माघ माह में सांचौर में थे। अतः इसी समय के आस-पास 'सीताराम-चौपाई' की रचना हुई होगी। वि. सं. १६८३ में लिखित इस कृति की प्रति भी प्राप्त होती है। अत: इसका निर्माण वि. सं. १६७३ से १६८३ के मध्यवर्ती काल में ही हुआ होगा। सीताराम-चौपाई की भाषा राजस्थानी प्रधान है। सीताराम-चरित्र सम्बन्धी कवि की इस कृति के अतिरिक्त भी राजस्थानी में अनेक रचनाएँ जैन आचार्यों ने निर्मित की हैं। इनमें ब्रह्म जिनदास रचित 'रामचरित्र-काव्य' (वि.सं. १५०८), विनयसमुद्र रचित 'पद्मचरित' (वि.सं. १६०४), समयध्वज रचित 'सीता-चउपई' (वि.सं. १६११), हेमरत्नसूरि रचित 'सीता-चरित्र' (वि.सं. १६३६-४५), नगरसी रचित 'रामसीता-रास' (वि.सं. १६४९), केसराज रचित 'रामयशो-रसायन' (वि.सं. १६८३), त्रिविक्रम रचित 'रामचन्द्र-चरित' (वि.सं. १६९९), चारित्रधर्म और घिद्याकुशल रचित 'रामचन्द्र-चरित' (वि.सं. १६९९), चारित्रधर्म और घिद्याकुशल रचित 'रामायण' (वि.सं.१६२१), दौलतकीर्ति रचित 'सीताहरण चौढालिया' (वि.सं. १७८४), सुज्ञानसागर रचित 'ढालमंजरी' (सं. १८२२), चौथमल रचित 'रामचरित' (वि.सं. १८६२) आदि विशेष उल्लेखनीय हैं। राम-सीता-कथासम्बन्धी राजस्थानी जैनेतर साहित्य में माधवदास दधवाड़िया रचित 'रामरासो' (वि.सं. १६६४), रुघपति-रुघनाथ रचित 'रुघरासो' (वि.सं. १७२५), अमृतलाल माथुर रचित 'गीत रामायण' (वि.सं. १९५५) आदि प्रमुख हैं। राजस्थानी भाषा में रचित सीता-राम-कथासाहित्य में कवि समयसुन्दर की 'सीताराम-चौपाई' अपना एक महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है। कवि ने इस काव्य में जैन-परम्परा की रामकथा को समग्ररूपेण गुम्फित किया है। कवि ने प्रस्तुत कृति के कथानक का आधार 'पद्मचरित' / 'पउम चरिउ' से लिया है, ऐसा कवि के संकेतों से विदित होता है। वैसे कवि ने हिन्दू धर्म में प्रचलित रामायण के विविध आख्यानों पर जिन अनेक कवियों ने लिखा है, उनका भी उल्लेख किया है - Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012071
Book TitleMahopadhyaya Samaysundar Vyaktitva evam Krutitva
Original Sutra AuthorN/A
AuthorChandraprabh
PublisherJain Shwetambar Khartargaccha Sangh Jodhpur
Publication Year
Total Pages508
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size19 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy