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________________ संस्कृति अहिंसा-भगवती ३२५ यथार्थ के प्रतिपादक होने से उपरोक्त साठ नाम अहिंसा भगवती ( दया माता ) के पर्यायवाची शब्द कहे जाते हैं। अहिंसा की आठ उपमाएं अहिंसा भगवती को आठ उपमाएं दी गई हैं । वे इस प्रकार हैं: (१) जिस प्रकार भयभीत प्राणियों के लिए शरण का आधार होता है, उसी प्रकार संसार के दुःखों से भयभीत प्राणियों के लिए अहिंसा आधारभूत है । (२) जिस प्रकार पक्षियों के गमन के लिए आकाश का आधार है, उसी प्रकार भन्यजीवों को अहिंसा का आधार है। (३) प्यासे पुरुष को जैसे जल का आधार है, उसी प्रकार भव्य जीवों को अहिंसा का आधार है। (४) भूखे पुरुष को जैसे भोजन का आधार है, उसी प्रकार भव्य जीवों को अहिंसा का आधार है। (५) समुद्र में डूबते हुए प्राणी को जिस प्रकार जहाज का या नौका का आधार है, उसी प्रकार संसाररूपी समुद्र में चक्कर खाते हुए भव्य प्राणियों को अहिंसा का आधार है। (६) जिस प्रकार पशु को खूटे का आधार है। (७) रोगी को औषधि का आधार है। (८) जंगल में मार्ग भूले हुए पथिक को किसी के साथ का आधार होता है, उसी प्रकार संसार में कर्मों के वशीभूत होकर नाना गतियों में भ्रमण करते हुए भव्य प्राणियों के लिए अहिंसा का आधार है । त्रस, स्थावर आदि सभी प्राणियों के लिए अहिंसा क्षेमंकरी ( हितकारी ) है । इस लिए इसे ' भगवती' कहा गया है । इस का सम्पूर्ण रूप से पालन करनेवाले ' भगवान् ' बन जाते हैं ।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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