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________________ संस्कृति भारत की अहिंसा संस्कृति । मध्यदेश व दक्षिण में देवपूजा, उदरपूर्ति व मनोविनोद आदि के लिए पशुबलि, मांसाहार आदि हिंसक प्रवृत्तियोंने जोर पकड़ा, तभी भारत की अन्तरात्माने उस का घोर विरोध किया और जब तक इन हिंसामय व्यसनों का उसने अपने सामाजिक जीवन में से पूर्णतया बहिष्कार नहीं कर दिया उसको शान्ति प्राप्त नहीं हुई । इसी लिये भारत का मौलिक धर्म अहिंसा धर्म कहा जाय तो इसमें तनिक भी अतिशयोक्ति नहीं है। इस ऐतिहासिक तथ्य की जानकारी के लिये भारतीय जनता की प्रवृत्तियों तथा प्रतिक्रियाओं के आठ प्रसिद्ध आख्यान यहां दिये जाते हैं १. हिमाचलदेश सम्बन्धी दक्ष और महादेव की कथा । २. कुरुक्षेत्र सम्बन्धी पणि और इन्द्र की कथा । ३. इन्द्र की ब्रह्महत्या से मुक्ति की कथा । ४. पाश्चालदेश सम्बन्धी राजा वसु और पर्वत की कथा । ५. शौरसेन देश सम्बन्धी कृष्ण और इन्द्र की कथा । ६. वेन की कथा। ७. कपिल ऋषि और नहुष की कथा। ८. बुद्ध भगवान् और वर्षा ऋतुचर्या की कथा । हिमाचल सम्बन्धी दक्ष और महादेव की कथा: महाभारत के शान्तिपर्व अ. २८४ में दी हुई दक्ष राजा की कथा में बतलाया गया है कि एक समय प्रचेता के पुत्र दक्षने हिमालय के समीप गङ्गाद्वार में अश्वमेध यज्ञ आरम्भ किया । उस यज्ञ में देव, दानव, नाग, राक्षस, पिशाच, गन्धर्व, ऋषि, सिद्धगण सभी संमिलित हुए । इतने बड़े समागम को देखकर महात्मा दधीचि बहुत कुपित हुए और कहने लगे कि जिस यज्ञ में महादेव की पूजा नहीं की जाती वह न तो यज्ञ है और न धर्म ही है। हाय ! काल की गति कैसी बिगड़ी है कि तुम लोग इन पशुओं को बांधने और मारने के लिए उत्सव मना रहे हो । मोह के कारण तुम नहीं जानते कि इस यज्ञ से तुम्हारा घोर विनाश होगा । उसके बाद महायोगी दधीचिने ध्यान द्वारा नारदसहित महादेव पार्वती को देखा और बहुत सन्तुष्ट हुए। फिर यह सोचकर कि इन लोगोंने एकमत हो कर महादेव को निमन्त्रण नहीं दिया है, वे यह कहते हुए यज्ञभूमि से चल दिये कि अपूज्य देवों की पूजा से और पूज्य देवों की पूजा न करने से मनुष्य को नरहत्या का पाप लगता है। यहां पशुपति, जगत् का कर्ता, यज्ञ का भोक्ता महादेव आया हुआ है, क्या तुम लोग उसे नही देख रहे
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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