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युगप्रवर्तक श्रीराजेन्द्रसूरिजी अभिधान कोष ' जो कि ७ भागों में विभक्त है । आपके स्वयं के लिखे हुए छोटे-बडे ६१ ग्रन्थ हैं। उनकी अकस्मातिक मृत्यु से हमारा एक महान् कर्णधार और सुधारक उठ गया है।
इस महान् पुरुष के स्वर्गवास को आज ५० साल पूरे होने को हैं और आज हमारे सामने समाजसेवा के अनेक मार्ग खुले हैं । आशा है-इस पुनीत अवसर पर जैन शासनके कर्णधार उनके अधूरे कामों को पूरा करने की प्रतिज्ञा करेंगे । शुभम् ।