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________________ अध्यात्मवादी कवि श्रीमद् राजेन्द्रसूरि । मुनिश्री विद्याविजयजी 'पथिक' खाचरौद जिस देश में, जिस राष्ट्र में, जिस जाति में, जिस समाज में साहित्य की कमी है वहाँ सभी बातोंकी कमी है-वह देश, वह राष्ट्र, वह जाति, वह समाज साहित्य के विना संसार में जीवित नहीं रह सकता । मनुष्य को प्रगतिशील बने रहने के लिये साहित्य का ही अवलम्बन श्रेयस्कर है और जनता के उत्थान का साहित्य ही अलौकिक साधन है । बच्चों का प्रतिपालन जैसे माता करती है, उसी भाँति मानव की रक्षा साहित्य करता है। साहित्य दो भागो में विभाजित है-गद्य और पद्य । गद्य उसे कहते है जो छंदविहीन भाषा में होता है । पद्य की प्रणाली इस तरह से नहीं होती। पद्य की रचना में कवि मनो. भावों को व्यक्त करता है और दूरदर्शी बन कर एक पद्य में सारा चित्र खींच लेता है। पिंगल के विविध छन्दों के नियमों को ध्यान में रखकर जो रचनाएँ की जाती हैं, वे सुन्दर, मधुर और कलात्मक होती हैं। ___ कवि का हृदय कोमल, निर्मल एवं सरल होता है । इसी से कवि कविता में सरस रस भर देता है। अपने हृदय की बात इस ढंग से जनता में रख देता है कि उसके प्रभाव से जनगण के हृदय में अलौकिक भावनायें और चेतनायें जाग्रत हो उठती हैं। मानव के जीवन का उत्थान साहित्य से होता आया है और होता जा रहा है । रास, चौपाई, दोहा, कुण्डलियाँ, छप्पय आदि मात्रिक छन्द हैं । छन्द-शास्त्र में तीन वर्षों का समूह बना कर लघु, गुरु क्रम के अनुसार आठ गण माने गये हैं। जैसे-मगण (sss) यगण (15) रगण (SIS) सगण (15) तगण (s)) जगण (151) भगण (1) तथा नगण (1)। इन आठ गणों के नियमों को ध्यान में रख कर जो कविता होती है, वह विध्यनुसारी रचना है । जैन साहित्य भी नौ रसों से ओत-प्रोत एवं सुसज्जित है। जैन महाकवि आनंदघनजी, विनयविजयजी, यशोविजयजी, देवचंदजी आदि महाकवियों की प्रभु-गुण कृतियाँ जब पढ़ने में आती हैं, तब पढ़नेवाला मानों प्रभु के सन्मुख ही बैठा है ऐसा लीन हो जाता है। कवि भक्ति के मार्ग में निशंक होकर चलता है । उसके लक्ष को प्राप्त करने में इतनी उड़ान करता है कि " जहाँ नहीं पहुंचे रवि, वहाँ पहुंचे कवि " यह चरितार्थ हो उठता है। अनुभवी कवि वही है जो साहित्य-वाटिका के काव्य-कुञ्जकी सरस शीतल छाँया में
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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