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________________ श्रीमद् विजयराजेन्द्रसूरि-स्मारक-प्रेथ पच्छित्त ' ( प्रायश्चित ) इस शब्द पर प्रायश्चित का अर्थ, प्रायश्चित से आत्मा को क्या लाभ होता है ! भाव से प्रायश्चित किसको होता है ! आलोचनादि दस प्रकार के प्रतिसेवना प्रायश्चित, प्रायश्चित देने के योग्य सभा, व्यक्ति, दण्डानुरूप प्रायश्चित, प्रायश्चित दानविधि, आलोचना को सुन कर प्रायश्चित देना, प्रायश्चित का काल आदि बातों पर मार्मिक ढंग से विस्तार है। ___ 'पज्जुसणाकल्प ' ( पर्दूषणाकल्प ) इस शब्द पर पयूषण पर पूर्ण विवेचन, कब करना, किस तरह करना, भादवा सुदी पांचम पर अपने विचार, ग्रंथों की मान्यता, साधुओं संबंधी मार्गदर्शन, केशलुंचन आदि विषयों पर प्रकाश डाला है। 'पडिक्कमण ' ( प्रतिक्रमण ) इस शब्द पर प्रतिक्रमण शब्द का अर्थ, विवेचन, प्रतिक्रमण के लाभ, नाम स्थापना प्रतिक्रमण, रात्रि, देवसिक, पाक्षिक, चउमासिक और सांवत्सरिक इन पांचों प्रतिक्रमणों पर अच्छा विवेचन दिया है। श्रावक के प्रतिक्रमण में विधि इत्यादि बहुत विषय हैं। 'पवज्जा' (प्रव्रज्या-दीक्षा ) इस शब्द पर प्रव्रज्या शब्द का अर्थ, व्युत्पत्ति, दीक्षा का तत्व, किससे किसको दीक्षा देना, दीक्षा की पात्रता, किस नक्षत्र और किस तिथि में दीक्षा लेना, दीक्षा में अपेक्ष्य वस्तु, दीक्षा में अनुराग, सुंदर गुरुयोग, समवसरण में विधि, दीक्षा समाचारी, दीक्षा किस प्रकार से देना, चैत्यवंदन, दीक्षा में ग्रहण सूत्र, उसके पालन में सूत्र, गुरु से अपना निवेदन, दीक्षा की प्रंशसा, दीक्षा-फल, ऐसा उपदेश देना जिससे अन्य भी दीक्षा के लिये तैयार हो जाय, ग्यारह गुणों से युक्त श्रावक को दीक्षा देना, नपुंसक आदि को दीक्षा नहीं देना इत्यादि दीक्षा संबंधी सब विषय पूर्ण रूप से विस्तारपूर्वक दिखलाया है। 'पोग्गल ' (पुद्गल ) शब्द पर पुद्गल की व्युत्पत्ति, अर्थ, लक्षण, परमाणु, आपस में अंतर आदि अच्छा विवेचन दिया है। 'बंध ' ( बंधन ) शब्द पर बंध-मोक्षसिद्धि, बंध के भेद, प्रभेद, बंध में मोदक का दृष्टान्त, ज्ञानावरणादि आठ कर्मों के बंध का सुंदर विवेचन दिया है। 'भरह ' ( भरत ) इस शब्द पर भरतवर्ष के स्वरूप का वर्णन, दक्षिणार्द्धभरत के स्वरूप का वर्णन, वहां के मनुष्यों के स्वरूप का वर्णन इस प्रकार भूगोळ संबंधी विषय कथा आदि दी है। ___ पांचवें भाग में अनेक शब्दों पर कथा और उपकथायें आदि भी दी हैं जिससे पाठकों को इस ग्रंथ के पठन-पाठन में अति सरलता प्राप्त हो ।
SR No.012068
Book TitleRajendrasuri Smarak Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorYatindrasuri
PublisherSaudharmbruhat Tapagacchiya Shwetambar Shree Sangh
Publication Year1957
Total Pages986
LanguageEnglish, Hindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size26 MB
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