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संस्मरण/मंगल कामना
डॉ. विजय कुमार जैन* यह मैं अपना सौभाग्य समझता हूँ कि मुझे श्री पार्श्वनाथ विद्याश्रम में रहने का सौभाग्य प्राप्त हुआ, जिसके मंत्री श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन उस समय थे और आज भी हैं । आपके कुशल प्रबन्धन का परिणाम है कि पाश्वनार्थ विद्याश्रम (आज विद्यापीठ) एक आदर्श (मंडल) संस्थान बन गया है । इसका जैन विद्या के अध्ययन में एवं शोध संस्थानों के मानक में प्रथम स्थान है । आज, जब देश में शिक्षा-संस्थानों के प्रबन्धक शिक्षा-माफिया के रूप में संस्थानों का दोहन करने में लगे हैं, श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैसे प्रबन्धक इस संस्थान को दान देकर कुशल प्रबन्धन से विद्याश्रम रूपी वटवृक्ष का सिंचन कर इसका सर्वतो मुखी विकास कर रहे हैं।
विद्याश्रम में रहने के दौरान श्री भूपेन्द्रनाथ जी से कई बार मिलने का सौभाग्य प्राप्त हुआ। आपका विद्वानों के प्रति सम्मान की भावना एवं छात्रों के प्रति स्नेह देखते बनता है। आधुनिक सुविधाएँ एवं संसाधन जुटाकर आपने विद्याश्रम परिवार को हमेशा ही प्रगति के मार्ग पर प्रशस्त किया । आपके परिवार के ही द्वारा स्थापित यह संस्थान आपके कार्यकाल में भलीभाँति फलफूल रहा है। आगे आने वाली पीढ़ियां इसी तरह सींचती रहेगी, इसी शुभकामना के साथ पुनः कामना करता हूँ कि आप दीर्घायु हों ।
*अध्यक्ष-बौद्धदर्शन विभाग, केन्द्रीय संस्कृत विद्यापीठ, गोमतीनगर, लखनऊ
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