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________________ मेरे अग्रज भूपेन्द्रनाथ जैन श्री रोमेश चन्द्र बरड़ श्री भूपेन्द्रनाथ जी मेरे बड़े भाई हैं। मुझे उद्योग सम्बन्धी ज्ञान सब उन्हीं से मिला है। सन् १९५१ से सन् १९७६ तक मैंने उनकी छत्र-छाया में काम किया और १९७७ से उन्होंने काम-काज का भार मुझ पर छोड़ दिया और पिताजी के साथ धार्मिक और सामाजिक कार्यों में रुचि लेने लगे। पिताजी ने ही पार्श्वनाथ विद्यापीठ की जो रूपरेखा अपने मन में बनाई थी, आज भूपेन्द्रनाथ जी उसे लेकर चल रहे हैं। सारा बरड़ परिवार उनकी इस उपलब्धि से गौरव का अनुभव करता है और ईश्वर से उनकी दीर्घ आयु की प्रार्थना करता है। *प्रबन्ध निर्देशक, न्यूलेम लिमिटेड, फरीदाबाद । आदरणीय बाबूजी श्री अरुण जैन* आदरणीय बाबूजी श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन को मैं बचपन से जानता हूँ। मेरे पिता स्व० श्री गुलाबचन्द जैन के आज आप मित्र एवं सहयोगी रहे हैं। पिताजी के स्वर्गवास के पश्चात् बाबूजी की प्रेरणा से मेरा सम्पर्क पार्श्वनाथ विद्यापीठ से हुआ। विगत् दस वर्षों से मैं संस्थान की प्रबन्ध समिति की विभिन्न मीटिगों में सक्रिय रूप से भाग लेता रहा हूँ। आदरणीय श्री भूपेन्द्रनाथ जी जैन ऐसे व्यक्ति हैं जो संस्था की छोटी से छोटी गतिविधि में भी एक कार्यकर्ता की तरह समर्पित हैं। यदि यह कहा जाए कि वे अपने आप में एक संस्था हैं तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी, क्योंकि किसी भी कार्य को पूर्ण करके संस्था के सम्मानित व्यक्ति को उस कार्य का श्रेय देना उनकी सादगी, महानता और नि:स्वार्थ सेवा भावना का परिचायक है। मेरी प्रभु से प्रार्थना है कि आप वर्षों-वर्षों तक इसी प्रकार कार्य करते हुए युवक साथियों की प्रेरणा के ज्वलन्त उदाहरण बने रहें। *ईना, कालिन्दी कालोनी, नई दिल्ली-११००६५ Jain Education Intemational For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012065
Book TitleBhupendranath Jain Abhinandan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSagarmal Jain
PublisherParshwanath Shodhpith Varanasi
Publication Year1998
Total Pages306
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size10 MB
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