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स्वर्ण जयन्ती गौरव-ग्रन्थ
सूक्ष्म रूप से देखा जाए तो विश्व के प्रत्येक पदार्थ में प्रतिसमय उत्पाद-व्यय- ध्रौव्य की उपलब्धि होती है। सूक्ष्म परिणमन हमारे अल्पज्ञान में पकड़ नहीं नहीं आता, अतः उदाहरण स्थूल परिणमन के दिये गये हैं।
इस प्रकार यह सुस्पष्ट है कि प्रत्येक वस्तु सदैव उत्पाद - व्यय - ध्रौव्य - युक्त अथवा द्रव्यपर्यायात्मक है, क्योंकि प्रत्येक वस्तु में ही दो अंश नियम से पाये जाते हैं- एक अन्वय रूप और दूसरा व्यतिरेक रूप । 'यह वही है, वही है'- ऐसी प्रतीति जिसमें होती है उसे अन्वय कहते हैं और 'यह वह नहीं है, वह नहीं है'- ऐसी प्रतीति जिसमें होती है उसे व्यतिरेक कहते हैं। वस्तु में रहने वाले शाश्वत नित्य या अन्वय रूप अंश को द्रव्य कहते हैं और क्षणिक परिवर्तनशील या व्यतिरेकी अंश को पर्याय कहते हैं।
'पर्याय' का निरुक्त्यर्थ
विक्रम की सातवीं शताब्दीं के दिग्गज आचार्य श्रीमद्भट्टाकलंकदेव ने पर्याय की निरुक्ति इस प्रकार प्रकट की है
"परि समन्तादायः पर्यायः”
अर्थात् जो सर्व ओर से भेद को प्राप्त करे वह पर्याय है।
इसी प्रकार आचार्य देवसेन भी 'आलाप पद्धति' में लिखते हैं“स्वभावविभावरूपतया याति पर्येति परिणमतीति पर्यायः इति पर्यायस्य व्युत्पत्तिः ।' अर्थात् जो स्वभाव-विभाव रूप से गमन करती है, परिणमन करती है, वह पर्याय
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है।
पर्याय के नामान्तर
जैन-ग्रन्थों में पर्याय के अनेक नामान्तर गिनाये गये हैं। यद्यपि आचार्यों द्वारा पर्याय के लिए इन नामान्तरों का प्रयोग कहीं-कहीं ही किया गया है, तथापि पर्याय के स्वरूप - परिज्ञानार्थ इन नामान्तरों का भी ज्ञान होना आवश्यक है। यथा
" पर्यायो विशेषोऽपवादो व्यावृत्तिरित्यर्थः ।
अर्थात् पर्याय, विशेष, अपवाद और व्यावृत्ति - इन सबका एक अर्थ है।
"ववहारो य वियप्पो भेदो तह पज्जओ त्ति
अर्थ :- व्यवहार, विकल्प, भेद और पर्याय- ये सब एकार्थवाची हैं।
"पर्ययः पर्यवः इत्यनर्थान्तरम्।”
अर्थः- पर्यय, पर्यव और पर्याय- ये एकार्थक हैं।
" अपि चांशः पर्यायो भागो हारो विधा प्रकारश्च ।
भेदश्छेदो भंगः शब्दाश्चैकार्थवाचका एते । । ०
अर्थः- अंश, पर्याय, भाग, हार, विधा, प्रकार, भेद, छेद और भंग- ये सब एक ही अर्थ के वाचक हैं।
यहाँ विशेष ध्यान देने योग्य तथ्य यह है कि उक्त चारों उद्धरणों में पर्याय के नामान्तरों में अंश, भाग आदि को भी गिनाया गया है और पर्याय शब्द का सामान्य अर्थ 'वस्तु का अंश' होता भी है, परन्तु यहाँ हम जिस पर्याय को समझने का प्रयत्न कर रहे
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