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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
अनुमोदना
खतरगच्छाधिपति आचार्य जिनमहोदयसागर सूरि म. चोहटन (राज.)
स्वाध्याय के क्षणों में जब मन की एकाग्रता रहती है । तब चंचल मन में कई प्रकार के चिन्तन मनन की लहरें हिलोरें लेती हैं । एक बार चिन्तन चला कि इस अवसर्पिणी काल के अंतिम तीर्थंकर भगवान महावीर स्वामी को केवलज्ञान प्राप्त किए 2524 वर्ष पूरे हो गए हैं। वर्तमान समय में भी महावीर व उसके मौलिक सिद्धान्त की प्रत्यक्ष अनुभूति होती है । भौतिक युग में वैज्ञानिक प्रगति निरन्तर उच्च शिखर की ओर अग्रसर हो रही है । इसकी प्रगति के आलम्बन पर हम दृष्टिपात करें तो पाएंगे कि महावीर के सिद्धान्त को आधार मानकर अपना प्रभुत्त्व जन मानस पर बना रहा हैं । पर एक दीर्घ समय के बाद भी वैज्ञानिकों को महावीर के सिद्धान्त कैसे मिल गए । कुछ क्षण मनन मंथन किया तो मालूम पड़ा कि महावीर के सिद्धान्त का अस्तित्व ज्यों का त्यों रखने के लिए इस संसार में अनेक दिव्य चेतना का पदार्पण हुआ । उस दिव्य चेतना में अवश्य ही भगवान महावीर के परमाणु विद्यमान थे । गणधर गौतम, जम्बूस्वामी, सुधर्मास्वामी, आचार्य, मानतुंग, हेमचन्द्राचार्य, हरिभद्रसूरि नवअंगी टीकाकार अभयदेव सूरि, श्रीमद् राजेन्द्रसूरि इसी कड़ी में अनेक धर्माचार्यों ने समर्पण भाव से अपना सब कुछ जिन शासन की प्रभावना के लिए अर्पण कर अपूर्व सेवा की । सिद्धान्तों को लिपिबद्ध किया ।
उसी श्रृंखला में परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. ने पंचम काल के अज्ञानियों को बोधि ज्ञान देते हुए कई प्रकार की धर्माराधना, प्रतिष्ठायें, उपधान, तप, संघ प्रव्रज्यायें मानव मात्र के कल्याणकारी कई प्रकार की धर्म आराधना की प्रभावना करते हुए दीर्घ 62 वर्ष के आयुष्य में उत्कृष्ट 63 वर्ष की संयम साधना की यात्रा कर जिन शासन में एक कीर्तिमान स्थापित किया है ।
आप के द्वारा की गई धर्म प्रभावना आने वाले समय में सभी जन मानस के लिए आत्मा से परमात्मा पद देने वाली
बने ।
जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरकजयंती की मैं भूरि भूरि अनुमोदना करता हूं ।
हार्दिक शुभेच्छा
आचार्य कलाप्रभसागर सूरि
सरल मन के धनी, सुविशुद्ध संयमी जैनाचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरिजी म.सा. के संयमी जीवन की अनुमोदनार्थ अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित करने जा रहे हैं । सो जानकर प्रसन्नता हुई । पूज्यश्री ने संयम जीवन के 59 वर्ष में अपने उत्तम चारित्र जीवन के साथ जैन शासन की अनेकविध शासन प्रभावनाएं की हैं । जैनाचार्य एवं गच्छाधिपति पद से विभूषित होने के बाद सविशेष जैन शासन एवं त्रिस्तुतिक गच्छ की उन्नति में आपका सविशेष योगदान हैं ।
आप दीर्घायु बनकर स्व-पर अनेक के मोक्षपथ प्रदायक इन्हीं यही हार्दिक शुभेच्छाओं सह अभिनंदन ।
हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति 1 हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति