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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन ग्रंथ
बागरा रा बाग से फूल
परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद् विजय हेमेन्द्रसूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर श्री अभिनन्दन ग्रन्थ के प्रकाशन के स्वर्णिम अवसर पर हमारी ओर से भूरि भूरि अनुमोदना ।
जिन्होंने अपना सम्पूर्ण जन्म अमृत सा बना दिया, सचमुच ही कमल जैसे कोमल स्वभावी, शांतता प्रशांतता की सरिता देखनी हो तो जाओ आचार्य श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी के चरणों में ।
इस कलियुग में कपटी, क्रोधी, लोभी आदमी हर जगह मिलेंगे । ऐसे में भला कौन बचा होगा? हां... जरुर से एक आत्मा जिसे चौथे आरे का आत्मा कहा जा सकता है, वह है आचार्य श्री हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. । न उनमें क्रोध मिलता है, न कपट मिलता है और न राग-द्वेष ही दिखाई देता है । अगर उनमें कुछ मिलता है तो वह है गुणों का लहराता सागर । हर पल प्रसन्न चेहरा देखते ही मन मोह लेता है । ऐसे गुरुवर के दर्शन पाने से सारे दुःखदर्द समाप्त हो जाते हैं । मिट जाते हैं ।
आचार्य प्रेमसूरि म.
पन्यास रत्नशेखरविजय पन्यास हेमचन्द्रविजय
बागरा नगर का पूर्णिमा के चन्द्रमा के समान पवित्र पुत्र पूनमचंद जो जिनशासन में हेमवत स्वर्ण के समान चमकता दमकता जैनधर्म की शासन पताका को फहराता हुआ देश में यत्र तत्र विचरण कर रहा है और जिसने अनेक हीरे पैदा किये हैं । ऐसे गुरुवर का मनाया जा रहा हैं जन्म अमृत महोत्सव और दीक्षा हीरक जयंती महोत्सव । उसके लिये सभी अभिनन्दन के पात्र हैं । यही हार्दिक मंगलमनीषा है कि वे सुदीर्घ काल तक स्वस्थ रहते हुए जिनशासन की प्रभावना करते रहें ।
जो अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित किया जा रहा है, वह कार्य प्रशंसनीय एवं सराहनीय है । इससे बागरा रा बाग रा फूल की महक सम्पूर्ण भारत में महक उठेगी ।
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हार्दिक प्रसन्नता
श्रमण श्री विनयकुमार 'भीम'
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राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यदेव श्रीमद विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर उनके पावन श्रीचरणों में एक अभिनन्दन ग्रंथ प्रकाशित कर समर्पित किया जा रहा है, यह जानकर हार्दिक प्रसन्नता हुई । मैं अभिनन्दन ग्रन्थ के लिये अपनी हार्दिक शुभकामनाएं प्रेषित करता हूं । यह ग्रन्थ अपनी अलौकिक प्रतिभा फैलाये । आचार्यदेव के पावन उपदेश पवित्र मार्ग जन जन तक पहुंचाएं। विशाल और विराट यह अभिनन्दन ग्रन्थ लोकप्रिय बने यही भव्य भावना है । सम्पादक मुनि श्री प्रीतेशचन्द्र विजय एवं आप बधाई के पात्र हैं । आपका यह कार्य चहुंमुखी विकास करें ।
(श्रमण संघीय स्व. युवाचार्य श्रीमधुकर मुनिजी म. के सुशिष्य ।)
हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति
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हेमेन्द्र ज्योति हेमेन्द्र ज्योति