________________
प्रकाशकाय..
विगत चार पाँच वर्षों से परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्यदेवेश श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. के जन्म अमृत महोत्सव एवं दीक्षा हीरक जयंती के अवसर पर एक अभिनन्दन ग्रन्थ प्रकाशित कर उनके श्रीचरणों में समर्पित करने की योजना पर विचार विमर्श चल रहा था किंतु इस विचार को मूर्तरूप नहीं मिल पा रहा था । प. पू. आचार्य भगवन् के राजगढ़ (धार) वर्षावास की अवधि में इस विचार को क्रियान्वित करने का संकल्प हुआ और फिर इस दिशा में कार्य प्रारम्भ हुआ । अंततः प्रस्तुत राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनन्दन ग्रन्थ का प्रकाशन हुआ जिसकी हमें हार्दिक प्रसन्नता है ।
प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ के मूल में प. पू. आचार्य भगवन् का आशीर्वाद तो रहा ही जिसके परिणामस्वरूप यह ग्रन्थ अपने वर्तमान स्वरूप में प्रस्तुत किया जा सका । इसके लिये हम प. पू. आचार्य भगवन् के प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करते हैं । इस अभिनन्दन ग्रन्थ को मूर्तरूप प्रदान करने में मार्गदर्शक मण्डल एवं परामर्श मण्डल का सहयोग मिला जिसके लिये भी हम उनके आभारी हैं । साथ ही ग्रन्थ के प्रधान सम्पादक द्वय पूज्य मुनिराज श्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. एवं पूज्य ज्योतिष सम्राट मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. विद्यार्थीने लगन एवं
ग्रन्थ को आकार प्रदान किया उसके लिये पूज्य मुनिराज द्वय के प्रति भी हम हृदय से आभार प्रकट करते हैं । साथ ही हम इस ग्रन्थ के स्वप्नदृष्टा, अभिनन्दन ग्रन्थ निर्माता पू. आचार्य भगवन् के सुविनित शिष्यरत्न पूज्य मुनिराज श्री प्रीतेशचन्द्रविजयजीजी म.सा. के प्रति हृदय से आभार प्रकट करते हैं जिन्होंने ग्रन्थ को वर्तमान स्वरूप में प्रस्तुत करने के लिये प्राणपण से प्रयास एवं परिश्रम किया है । ग्रन्थ के सम्पादक मण्डल, सम्प्रेरक मण्डल एवं प्रबन्ध सम्पादक के प्रति भी आभार प्रकट करना हम अपना कर्तव्य समझते हैं ।
इसी अनुक्रम में अभिनन्दन ग्रन्थ के सम्पादक उज्जैन निवासी डा. तेजसिंह गौड़ के हार्दिक सक्रिय सहयोग का भी आभार व्यक्त करते हैं । डा. गौड़ ने पूर्ण निष्ठा के साथ ग्रन्थ के लिये अनुकूल सामग्री का संकलन किया और जहाँ आवश्यक हुआ वहां यथा समय पुनर्लेखन भी किया । हमारी कामना यही है कि भविष्य में भी आवश्यकतानुसार डॉ. गौड़ का इसी प्रकार का अपनत्व भरा सहयोग सतत् मिलता रहे ।
यदि गुरुभक्तों ने स्व अर्जित लक्ष्मी का इस कार्य हेतु सदुपयोग नहीं किया होता तो इस अभिनन्दन ग्रन्थ को इस रूप में प्रस्तुत कर पाना सम्भव नहीं होता । अतः जिन जिन गुरुभक्तों ने स्व-अर्जित लक्ष्मी का इस कार्य में सदुपयोग किया उन सबके प्रति भी आभार व्यक्त करते हैं और विश्वास है कि भविष्य में भी उनका इसी प्रकार का सहयोग मिलता रहेगा।
नेहज इन्टरप्राईज प्रेस के श्री जयेशभाई के साथ ही उनके कार्यकर्ताओं को भी हृदय से धन्यवाद देते हैं जिन्होंने ग्रन्थ को पूर्ण साज सज्जा के साथ प्रस्तुत किया ।
अंत में हम उन सभी ज्ञात / अज्ञात सहयोगियों के प्रति भी आभार प्रकट करते हैं । अपेक्षा यही है कि सबका इसी प्रकार का सहयोग भविष्य में भी मिलता रहे। इत्यलम।
सदस्यगण श्री आदिनाथ राजेन्द्र जैन श्वेताम्बर पेढ़ी (ट्रस्ट) श्री मोहनखेड़ा तीर्थ, राजगढ़, जिः धार (म. प्र.)
ETEDinternational
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.orm