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भार.737
दि. 7-7-2000 को चेन्नई में वर्षावास हेतु प्रवेश किया । उसी समय अभिनन्दन ग्रन्थ के कार्य को गति प्रदान की गई और एक सप्ताह के कठोर परिश्रम के बाद प्राप्त सामग्री को अंतिम रूप देकर मुद्रण के लिये सौंप दी गई ।
प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ को मूर्तरूप प्रदान करने में परम पूज्य राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा., की कृपा और आशीर्वाद, प्रधान सम्पादक द्वय पूज्य मुनिराजश्री लेखेन्द्रशेखरविजयजी म.सा. एवं पूज्य मुनिराजश्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. द्वारा समय समय पर दिया गया मार्गदर्शन, तथा इस ग्रन्थ के सूत्रधार स्वप्नदृष्टा गुरुभक्ति से ओतप्रोत होकर ग्रन्थ निर्माण की योजना बनाने वाले, सम्पादक पूज्य मुनिराज श्री प्रीतेशचन्द्रविजयजीजी म.सा. की लगन, निष्ठा और अध्यवसाय के साथ ही निदेशक मण्डल, परामर्श मण्डल, प्रेरक मण्डल, सम्पादक मंडल के सदस्यों प्रबन्ध सम्पादक तथा प्रत्यक्ष अथवा अप्रत्यक्ष रूप से अनेक महानुभावों का सहयोग/सहकार रहा। मैं उन सबके प्रति अपनी कृतज्ञता प्रकट करता हूं । यदि जैन विद्या के लब्धप्रतिष्ठित विद्वानों का सहयोग नहीं मिला होता तो ग्रन्थ को इस रूप में प्रस्तत कर पाना सम्भव नहीं होता। अतः मै सभी मूर्धन्य विद्वानों के प्रति भी आभार प्रकट करता हूं । जिन गुरुभक्तों ने स्व अर्जित लक्ष्मी का सदुपयोग इस ग्रन्थ को साकार रूप प्रदान करने में किया, उनके प्रति भी आभार प्रकट करता हूं ।
हो सकता है, आभार प्रदर्शन की इस श्रृंखला में प्रमादवश कुछ नाम छूट गये हों । ऐसे सभी महानुभावों के प्रति भी मैं आभार प्रकट करता हूं और विश्वास करता हूं कि वे इसे अन्यथा नहीं समझेंगे ।
जैसा सहयोग, सहकार, अपनत्व प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ के समय मिला, विश्वास है कि भविष्य में जब भी ऐसी आवश्यकता होगी, वैसा ही स्नेहभरा सहयोग मिलेगा । इसी आशा और विश्वास के साथ -
डॉ तेजसिंह गौड़ कालिदास नगर, पटेल कालोनी, अंकपात मार्ग, उज्जैन-४५६ 00६ (मप्र)
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