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कुल मिलाकर इस अभिनन्दन ग्रन्थ को विद्वानों, अनुसंधानकर्ताओं एवं सामान्य गुरु भक्तों के लिये उपयोगी बनाने का प्रयास किया गया है । विश्वास है कि यह ग्रन्थ हमारी भावना के अनुकूल प्रमाणित होगा । प्रस्तुत अभिनन्दन ग्रन्थ इस रूप में प्रकट नहीं हो पाता यदि उसके लिये विद्वान आचार्य/मुनिराजों
और लब्ध प्रतिष्ठित विद्वानों का सहयोग नहीं मिला होता । अतः हम ग्रन्थ के सहयोगी विद्वान लेखकों के प्रति आभार प्रकट करना अपना कर्तव्य समझते हैं । इसी अनुक्रम में धर्म प्रेमी स्नेहमूर्ति डॉ. तेजसिंह गौड़ के सहयोग को भी नहीं भुलाया जा सकता है । डॉ. गौड़ ने पूर्ण लगन, निष्ठा और कठोर परिश्रम करके अपने सम्पर्कों से देश के ख्यातिलब्ध विद्वानों से शोधपरक एवं चिंतनपरक आलेख निर्धारित समय सीमा र भी कम अवधि में प्राप्त कर ग्रन्थ के लिये अनुकूल सामग्री एकत्र कर ली । डॉ. गौड़ ने प्रतिकूल परिस्थिति में भी कार्य किया / यात्रायें की ओर इस ग्रन्थ को मूर्तरूप प्रदान करने में अपना अपूर्व सहयोग प्रदान किया । इतना ही नहीं जहां लेखन/पुनर्लेखन की आवश्यकता हई वहां भी डॉ. गौड ने अपने उत्तरदायित्व को पूरा किया । अतः हम डॉ. गौड़ को साधुवाद देते हैं और चाहते हैं कि उनका यह अपनत्वभरा/स्नेहभरा सहयोगभाव हमें सतत् मिलता रहे ।
जिन गुरुभक्तों ने स्व अर्जित लक्ष्मी का सदुपयोग इस ग्रन्थ को मूर्त रूप प्रदान करने में किया, उन्हें भी भुलाया नहीं सकता है । ऐसे समस्त गुरुभक्तों को धन्यवाद ।
अंत में उन सभी ज्ञात/अज्ञात सहयोगीजनों को भी धन्यवाद देते हैं जिनका सहयोग इस ग्रन्थ में मिला ।
परम श्रद्धेय राष्ट्रसंत शिरोमणि गच्छाधिपति आचार्य श्रीमद् विजय हेमेन्द्र सूरीश्वरजी म.सा. की कृपा एवं आशीर्वाद के अभाव में इस आयोजन की सफलता की कामना तो हम कर ही नहीं सकते । अस्तु श्रद्धेय आचार्य के चरणों में वन्दन करते हुए शासनदेव से उनके सुदीर्घ स्वस्थ जीवन की कामना करते हैं ।
मुनि लेखेन्द्रशेखर विजय, मुनि ऋषभचन्द्रविजय विद्यार्थी, मुनि प्रीतेशचन्द्र विजय मुनि चन्द्रयश विजय
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