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श्री राष्ट्रसंत शिरोमणि अभिनंदन था
भीनमाल का दीक्षा कार्यक्रम सम्पन्न कर वहां से विहार कर आप बागरा पधारे। जहां आपके सान्निध्य में उपधान तप की माला का कार्यक्रम हर्षोल्लासमय वातावरण के बीच आन्नद सम्पन्न हुआ। पू. आचार्य भगवंत की सेवा में बम्बई के गुरुभक्तों की विनती वर्षों से होती आ रही थी। वहां विभिन्न क्षेत्रों में कुछ प्रतिष्ठा कार्य सम्पन्न होना था। गुरुभक्तों की आग्रहभरी विनंती की अधिक समय तक विलम्बित नहीं रखा जा सकता था। इस वर्ष तो वहां के गुरुभक्तों की विनंती पुरजोर रूप से थी। उनकी भावना को सम्मान देते हुए पूज्य आचार्य भगवंत ने मारवाड़ से बम्बई की ओर अपने मुनि मण्डल के साथ विहार कर दिया। आपके मारवाड़ से बम्बई की ओर विहार की सूचना बम्बई के गुरुभक्तों को मिल गई। इस सूचना से वहां के गुरुभक्तों में हर्ष की लहर व्यक्त हो गई और उन्होंने अपने यहां के कार्यक्रमों की तैयारियां प्रारम्भ कर दी। मार्गवर्ती विभिन्न गांव-नगरों को पावन करते हुए आपका पदार्पण महानगर बम्बई के उपनगर वर्धमान नगर में हुआ। भव्य समारोहपूर्वक प्रवेष हुआ। इस समय गुरुभक्तो का उत्साह देखते ही बनता था। वर्धमान नगर में श्री किषोरचन्द एम वर्धन के संयोजन में श्री शंखेष्वर पार्श्वनाथ भगवान की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। यहां का कार्यक्रम सम्पन्न कर आपश्री मुनि मण्डल सहित सर्वोदयनगर पधारे। सर्वोदयनगर में भगवान पार्श्वनाथ की प्रतिमाजी की प्रतिष्ठा सम्पन्न की। इस प्रतिष्ठोत्सव के अवसर पर गच्छाधिपति श्री दर्षनसागरसूरीष्वरजी म.सा. विषेष रूप से उपस्थित थे।
सर्वोदयनगर की प्रतिष्ठा का कार्यक्रम सम्पन्न होने के पष्चात आपश्री वहां से विहार कर मलार मालवणी पधारे जहां आपश्री के सान्निध्य में प्रतिष्ठोत्सव कार्य सानन्द सम्पन्न हआ। मलार मालवणी से विहार कर आप कमाठीपुरा पधारे जहां आपके पावन सान्निध्य में भगवान नमिनाथ जिनालय का षिलान्यास कार्यक्रम सम्पन्न हुआ। इसी बीच आपका वि.सं. 2048 का वर्षावास महालक्ष्मी क्षेत्र में श्री किषोरचन्द एम.वर्धन एवं श्री घमंडीराम गोवाणी परिवार की ओर से होना घोषित हो चुका था। वर्षावास का समय अति निकट आगया था। अतः कमाठीपुरा से आपने वर्षावास स्थल तिरूपति अपार्टमेंट, महालक्ष्मी रोड के लिये विहार किया। विभिन्न मार्गो से होता हुआ प्रवेषोत्सव का चल समारोह तिरूपति अपार्टमेंट पहुँचा और वहां पहुंचकर धर्मसभा में परिवर्तित हो गया। इस धर्मसभा में विभिन्न वक्तओं ने अपने हृदयोदगार प्रकट किये। इसके साथ ही चातुर्मासिक धर्म आराधनाएं प्रारम्भ हो गई, पर्युषपर्व में अच्छी तपस्यायें हुई। यह महापर्व हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इससे पूर्व महामंत्र नवकार को सामूहिक आराधना का कार्यक्रम भी सानंद सम्पन्न हुआ। जिसमें अच्छी संख्या में आराधकों ने सम्मिलित होकर आराधना का लाभ लिया। विभिन्न धार्मिक कार्यक्रमों के साथ वर्षावास समाप्त हुआ और सकल श्री जैन संघ की और से श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के लिये आपश्री की निश्रामें छरी पालित संघ का निर्णय हुआ। निर्णयानुसार निष्चित शुभ मुहूर्त के दिन बम्बई के सुमेरटावर से तीन सौ यात्रियों के साथ आपश्री के सान्निधय में छ'री पालित संघ ने श्री मोहनखेड़ा तीर्थ के लिये प्रस्थान किया इसके पूर्व भूती निवासी कुमारी मारती को आपने जैन भागवती दीक्षा प्रदान कर साध्वी हर्षवर्धताश्री के नाम से सु साध्वीजी श्री संघवणाश्रीजी म.सा. की षिष्या के रूप में प्रसिद्ध किया।
छ: री पालित संघ मार्गवर्ती ग्राम-नगरों से होता हुआ आपके सान्निध्य में श्री मोहनखेडा तीर्थ पहुंचा । संघमाला के कार्यक्रम में म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री सुन्दरलाल पटवा मुख्य अतिथि के रूप में विशेष रूप से उपस्थित हुए थे। इस अवसर पर मुमुक्षु नीलेशकुमार महेन्द्रकुमार भण्डारी को आपश्री ने जैन भागवती दीक्षा प्रदान की और मुनि श्री पीयूषचन्द्रविजयजी म. के नाम से मुनिराज श्री ऋषभचन्द्रविजयजी म.सा. के शिष्य के रूप में प्रसिद्ध किया। इसी अवसर पर कु. अरविन्दा जेठमलजी छोगाजी को भी दीक्षाव्रत प्रदान कर साध्वी श्री मुक्तिप्रज्ञाश्रीजी के नाम से सुसाध्वीजी श्री मुक्तिश्रीजी म.सा. की शिष्या के रूप में घोषित किया । इसी अवसर पर भगवान आदिनाथ की प्रतिमाजी की अंजनशलाका भी सम्पन्न की।
वि.सं. 2050 का वर्षावास पू. आचार्यदेव एवं मुनिमण्डल का सियाणा जालोर निवासी श्री हुकमीचन्दजी लालचंदजी बागरेचा वर्तमान में राणीबेन्नुर (कर्नाटक) की ओर से श्री मोहनखेडा तीर्थ पर विभिन्न धार्मिक क्रियाओं एवं आराधनाओं के साथ सानन्द सम्पन्न हुआ । यहां सुसाध्वीजी श्री मुक्तिश्रीजी म.सा. को प्रवर्तिनी पद से सामरोहपूर्वक अलंकृत किया गया। इस अवसर पर मुनिश्री पीयूषचन्द्रविजयजी म. तथा अन्य साध्वियांजी म. की बड़ी दीक्षा भी सम्पन्न हुई । वर्षावास की समाप्ति के पश्चात् आपश्री एवं मुनि मण्डल का समीपस्थ क्षेत्रों में धर्म प्रचारार्थ विचरण होता रहा । समय समय पर आपश्री श्री मोहनखेडा तीर्थ पर भी पधारते रहे । इसी बीच वि. सं. 2051 का वर्षावास भी आपश्री एवं मुनिमण्डल का श्री मोहनखेडा तीर्थ के लिये स्वीकृत हुआ । वर्षावास की अवधि में अन्य धार्मिक क्रियाओं के अतिरिक्त सदैव की भांति श्री नवकार महामंत्र की सामूहिक आराधना और महापर्व पर्युषण की आराधना समारोहपूर्वक हुई । अच्छी संख्या में तपस्यायें भी हई । वर्षावास समाप्त हुआ और समीपवर्ती क्षेत्रों में आपश्री का विचरण होता रहा । आपश्री की सेवा में इस समय मुमक्ष नरेशकुमार विजयकुमारजी मादरेचा निवासी रतलाम अर्थात मैं रह रहा था । आपश्री की सेवा में दीक्षाव्रत अंगीकार करने की प्रबल भावना थी । समय व्यतीत होता जा रहा था किन्तु दीक्षा का मुहूर्त नहीं मिल पा रहा था । पू. आचार्य भगवन
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