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________________ श्री राष्ट्रसंत शिरामणि अभिनंदन ग्रंथ वर्षावास काल प्रारम्भ होने के साथ ही धार्मिक क्रियायें प्रारम्भ हो गई । यथासमय सामूहिक नवकार महामंत्र की आराधना भी हुई । अनेक तपस्यायें भी हुई । इस वर्षावास की सबसे उल्लेखनीय बात यह रही कि यहां दिनांक 15-9-1990 से 17-9-1990 तक तीन दिवसीय अखिल भारतीय जैन साहित्य समारोह पू. आचार्य भगवंत के पावन सान्निध्य में सात सत्रों में सम्पन्न हुआ । इस समारोह में जैन विद्या के जाने माने विद्वानों ने देश के विभिन्न भागों से यहां आकर अपने अपने आलेखों का वाचन किया । इस साहित्य समारोह में एक सौ से भी अधिक विद्वान यहां आए थे। अखिल भारतीय जैन साहित्य समारोह का उद्घाटन गुजरात के तत्कालीन मुख्य मंत्री श्री चिमनभाई पटेल ने किया था । इस अवसर पर विद्वानों के अतिरिक्त जो अन्य विशिष्ट महानुभाव उपस्थित थे, उनके नाम इस प्रकार हैं - माननीय श्री प्रवीणसिंह जाडेजा, पर्यावरण मंत्री, गुजरात सरकार, माननीय श्री दलसुखभाई पटेल, राजस्व मंत्री, गुजरात सरकार, दानवीर सेठ श्री दीपचंदजी एस. गार्डी, श्री किशोरचन्द्रजी एम. वर्धन, श्री फतेहलाल जी कोठारी, श्री संचयलालजी डागा, श्री सुमेरमलजी लुंकड श्री नृपराजजी जैन, श्री पुखराजजी लुंकड, श्री पी.वी.सेठ, श्री सी.एन. संघवी चातुर्मास समिति के अध्यक्ष श्री शांतिलालजी मुथा और अ.भा. जैन साहित्य समारोह के संयोजक डॉ. रमणभाई सी. शाह | यह अखिल भारतीय जैन साहित्य समारोह अपने आप में अनुपम था । कारण कि किसी भी साहित्यिक समारोह में इतनी बड़ी संख्या में विद्वानों का आगमन सामान्यरूप से नहीं होता है । समय की कमी के कारण अनेक विद्वानों के आलेखों का सार संक्षेप ही प्रस्तुत किया गया । कुछ विद्वानों के आलेखों के शीर्षक बता दिये गये । यह समारोह इस अर्थ में अपना वैशिष्ट्य रखता है कि जैन मतावलम्बियों के सबसे बड़े तीर्थ स्थल पर सम्पन्न हुआ । और इसमें विविध विषयों से सम्बन्धित आलेख प्रस्तुत किये गये जिनका प्रकाशन भी एक समस्या बन गयी। समारोह के उद्घाटन के दिन पालीताणा को पवित्र नगर घोषित करने और जैन विद्या के विकास के लिये स्वतंत्र विश्वविद्यालय की स्थापना की मांग भी उठी थी । पवित्र नगर घोषित करने की मांग को लेकर तो वक्ताओं में होड़ सी लग गई थी । मंच पर विराजित गुजरात के मुख्यमंत्री माननीय श्री चिमनभाई पटेल ने इस मांग को आंशिक रूप से पूरी करने की बात कही थी । कुल मिलाकर यह साहित्यिक समारोह सफल रहा । समारोह के अंतिम दिन रात्रि में एक आध्यात्मिक कवि सम्मेलन भी सम्पन्न हुआ, जो देर रात तक चलता रहा । इस अखिल भारतीय जैन साहित्य समारोह की व्यवस्था सुन्दर बनाये रखने में श्री प्रकाशचन्द्रजी जैन, मैनेजर, श्री राजेन्द्र भवन एवं श्री गट्टभाई, मैनेजर, श्री राजेन्द्र विहार दादावाड़ी का सहयोग भी प्रशंसनीय रहा । वि. सं. 2047 का पालीताणा का आपश्री का वर्षावास प्रत्येक दष्टि से सफल रहा। अपने इस ऐतिहासिक वर्षावास के पश्चात् पालीताणा से अपने मुनिमण्डल के साथ मारवाड़ की ओर विहार कर दिया । मार्गवर्ती विभिन्न ग्राम नगरों को पावन करते हुए आपश्री भीनमाल पधारे । आपके यहां पदार्पण से धार्मिक जाग्रति उत्पन्न हो गई और श्री संघ में उत्साह का संचार हुआ । भीनमाल में शंखेश्वर गुरुमंदिर की प्रतिष्ठा आपश्री के पावन सान्निध्य में सम्पन्न हुई । यही पर कु:मंजू खीमराज जी मेहता को जैन भागवती दीक्षा प्रदान कर उसे साध्वी श्री विनितप्रभाश्रीजी म. के नाम से साध्वीश्रीजी ललितश्रीजी म.सा. की शिष्या घोषित किया । यहां का कार्यक्रम सम्पन्न कर आपने बागरा की ओर विहार किया, जहां आपके सान्निध्य में उपधान प्रारम्भ हुआ । बागरा में उपधान चल ही रहा था कि आपने पुनः यहां से भीनमाल की ओर विहार कर दिया । भीनमाल पधारकर आपश्री ने श्रीमान, धर्मचंदजी बाफना की सुपुत्री कु. अनिता बाफना को जैन भगवती दीक्षा प्रदान की और उन्हें साध्वी पुनीतप्रज्ञाश्रीजी म. के नाम से सुसाध्वीजी श्री ललितश्रीजी म.सा. की शिष्या के रूप में प्रसिद्ध किया। हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति 42 हेमेन्द्र ज्योति* हेमेन्द्र ज्योति raine
SR No.012063
Book TitleHemendra Jyoti
Original Sutra AuthorN/A
AuthorLekhendrashekharvijay, Tejsinh Gaud
PublisherAdinath Rajendra Jain Shwetambara Pedhi
Publication Year2006
Total Pages688
LanguageHindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size155 MB
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