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'के विद्यार्थीगृहों में लगभग 1000 छात्रों के रहने की व्यवस्था है। जो शिक्षारूपी पौधा उम्मेदपुर में प्राथमिक के रूप में स्थापित सम्पन्न है। जिसमें 350 छात्र रह सकते हैं। इस संस्था में छात्रों के
विद्यालय के अन्तर्गत आगम साहित्य प्रकाशन एवं प्रतिवर्ष किया था, वह 1940 में फालना स्टेशन पर स्थानान्तरित किया चरित्र निर्माण के हेतु नैतिक एवं धार्मिक शिक्षण का विशेष "जैन साहित्य समारोह" सम्पन्न होता है।
गया। सन् 1940-41 के सत्र में वह संस्था फालना स्टेशन पर एक प्रबन्ध किया गया है।
माध्यमिक शाला के रूप में स्थापित हुई। संस्था के फालना विद्यालय का विकास एवं विस्तार आचार्य श्री विजय वल्लभ
स्थानान्तरण के पश्चात् आचार्य श्री ललित सूरीश्वरजी म. के सूरीश्वरजी म. की प्रेरणा एवं प्रयास से हुआ है। इस विद्यालय से
श्री आत्मानन्द जैन गरुकल. मार्गदर्शन में संस्था विकसित हुई। माता जिस प्रकार अपने सहस्त्रों स्नातक निकल चुके हैं। इस संस्था के द्वारा विदेशों में नवजात शिशु का लगन, प्रेम एवं निष्ठा के साथ पालन करती है,
झगड़िया उच्च शिक्षा एवं अनुसंधान करने वालों को ऋण भी दिया जाता
इसी प्रकार से शिक्षा प्रेमी महान शिक्षा प्रेमी आचार्य श्री ललित है। इसकी उन्नति निरंतर हो रही है। गुजरात एवं अन्य प्रान्तों के शहरों में भी नवीन शाखाएँ खोलने की योजना विचारधीन है। सूरि जी म. ने इस संस्था को जीवनदान दिया। श्री गुलाबचन्द जी
आचार्य श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म.सा. की प्रेरणा ढड्ढा ने ऑनरेरी गवर्नर के रूप में इस संस्था को अपना समय एवं इस प्रकार यह संस्था गुरुदेव का महान जीवन्त स्मारक है।
से सन् 1950 में श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल की स्थापना हुई। यह मार्गदर्शन देकर इसकी श्लाघनीय सेवा अनेक वर्षों तक की थी।
उनकी अन्तिम स्मृति रूप शिक्षा संस्था है। झगडिया गुजरात का सन् 1944 में हाई स्कूल, सन् 1951 में इण्टर कालेज और सन् पनि श्री आत्मानन्द जैन कालेज, अम्बाला
और सन सुप्रसिद्ध तीर्थ भी है। अन्य शिक्षण संस्थाओं की तरह यहाँ भी 1958 में डिग्री कालेज के रूप में मान्यता प्राप्त करता इसका छात्रों को चरित्र निर्माण की उच्च शिक्षा प्रदान की जाती है। 'शहर
गौरवमय इतिहास है। तब भी यह कालेज सतत् विकासोन्मुख है। पिष्ठले काठ वर्षों से इसकी उन्नति अवरुद्ध हो गई थी। आचार्य श्री मुनिरत्न, मुनिभूषण श्री वल्लभदत्त विजयजी म. का मार्गदर्शन
जी एवं गणिधी नित्यानंद विजय जी म. के प्रयास से यह पुन: भी इस संस्था को मिला है। कालेज में बी.ए., बी.कोम, एवं प्रि.
प्रगतिपथ पर आरूढ़ हो गई। अब यह संस्था आत्मनिर्भर हो गई आचार्य श्रीमद विजय वल्लभ सूरीश्वरजी म. सा. की प्रेरणा यनिवर्सिटी विज्ञान आदि की शिक्षा दी जाती है। इस संस्था में पढ़े से अनेक प्रान्तों में अनेक शिक्षण संस्थाओं की स्थापना हुई। इस जैन विद्यार्थी आज महानगरों में उद्योगपति हुए हैं और समाज एवं श्रृंखला में सन् 1938 में अम्बाला शहर में श्री आत्मानन्द जैन धर्म की सेवा कर रहे हैं। कालेज का प्रारम्भ हुआ। प्रसिद्ध उद्योगपति शिक्षानुरागी दान
श्री आत्मवल्लभ जैन हाई स्कूल, वीर सेठ कस्तभाई लालभाई ने इसका उद्घाटन किया। जैन ____ पार्श्वनाथ जैन विद्यालय, वरकाणा
बगवाड़ा समाज में किसी विश्वविद्यालय से सम्बद्ध यह प्रथम कालेज था।
कालेज के प्रारम्भ में मात्र इण्टर आर्ट्स की कक्षाएँ थी। आज राजस्थान के सुप्रसिद्ध तीर्थ वरकाणा में सन् 1926 में कला तथा विज्ञान और वाणिज्य में उपाधि (डिग्री) पाठ्यक्रम पार्श्वनाथ जैन विद्यालय की स्थापना आचार्य श्रीमद् विजय
श्रीमद् विजय वल्लभ सूरीश्वर जी म.सा. की प्रेरणा से तक की शिक्षा प्रदान का रहा है। वल्लभ सूरीश्वर जी म. की प्रेरणा से उनके शिष्य मरुधर बगवाड़ा में श्री आत्मवल्लभ जैन हाईस्कूल की स्थापना हुई।
धीरे-धीरे यहाँ छात्रावास भी बना। छात्रों के निवास की यहाँ अति कालेज का अपना निजी पुस्तकालय और वाचनालय भी है। देशोद्धारक आचार्य श्रीमद् विजय ललित सूरिजी म. ने की थी।
उत्तम व्यवस्था है। स्कूल का अपना एक विशाल मकान है। इसका भवन आधुनिक स्थापत्यकला की दृष्टि से बनाया गया है। प्रारम्भ में इसमें थोड़े से छात्र थे। स्वयं आचार्य श्री जी इसकी इस कालेज को गति और स्थिरता प्रदान की प्रोफेसर देखभाल करते थे। आगे चलकर इसे अपर प्राइमरी स्कल की छात्रों को धार्मिक एवं नैतिक जीवन का पाठ पढ़ाया जाता है। इस
संस्था में पढ़े कई विद्यार्थी श्रमण बने हैं। आज भी यह शिक्षण पृथ्वीराज जैन ने। वे इस संस्था के प्राण थे। इस समय प्रिंसीपल मान्यता प्राप्त हो गई।
मंदिर आचार्य विजय वल्लभ की कीर्ति पताका पहरा रहा है। टी.आर. जैन के नेतृत्व में कालेज प्रगति की ओर है।
सन् 1930 में इस विद्यालय में मिडिल तक शिक्षा दी जाने
लगी। 1932 में यह अंग्रेजी मिडिल स्कूल के रूप में आया। 1951 श्री पार्श्वनाथ उम्मेद कालेज, फालना
में इस विद्यालय को हाई स्कूल की मान्यता प्राप्त हुई। तभी से यह __श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल, विद्यालय निरन्तर प्रगति के पथ पर अग्रसर हो रहा है। इस संस्था
अम्बाला से बड़े योग्य छात्र निकले हैं। विद्यालय का एक विशाल भवन है। गोड़वाड़ के पिछड़े हए प्रदेश में अज्ञान तिमिर का विनाश यह सरकार द्वारा मान्य प्रथम श्रेणी का विद्यालय माना जाता है। करने के लिए आचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर जी म. ने, इसका विशाल छात्रावास सभी प्रकार की आधुनिक सुविधाओं से सन् 1945 में श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल अस्तित्व में ।
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