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________________ 21 गुरु वल्लभ द्वारा स्थापित संस्थाएँ इनके अतिरिक्त गुरुदेव की प्रेरणा से अनेक संस्थाओं की स्थापना हुई, जो विभिन्न प्रकार से समाज की सेवा कर रही है। कुछ संस्थाओं का परिचय यहाँ प्रस्तुत हैं। श्री महावीर जैन विद्यालय, बम्बई - - -मुनि चिदानन्द विजय युगवीरजैनाचार्य श्रीमद् विजयवल्लभ सूरीश्वर जी म. ने अपने गुरुदेव के अन्तिम शब्दों को हृदयस्थ कर निम्न सरस्वती मन्दिरों का निर्माण कराया, जिसमें से अधिकांश आज भी शिक्षण क्षेत्र में समाज की अभूतपूर्व सेवा कर रहे हैं : बम्बई, शाखाएँ सात - 1. श्री महावीर जैन विद्यालय अम्बालाशहर 2. श्री आत्मानन्द जैन कालेज फालना 3. श्री पार्श्वनाथ जैन उम्मेद कालेज लुधियाना 4. श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल अम्बालाशहर 5. श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल मालेरकोटला 6. श्री आत्मानन्द जैन हाई स्कूल बगवाड़ा 7. श्री आत्मावल्लभ जैन हाई स्कूल वरकाना 8. श्री पार्श्वनाथ जैन विद्यालय झगडिया 9. श्री आत्मानन्द जैन गुरुकुल सादड़ी 10. श्री आत्मानन्द विद्यालय होशियारपुर 11. श्री आत्मानन्द जैन मिडिल स्कूल जंडियाला गुरु 12. श्री आत्मानन्द जैन प्राइमरी स्कूल ब्यावर 13. श्री शांति जैन मिडिल स्कूल अम्बालाशहर 14. श्री आत्मानन्द जैन कन्यापाठशला अहमदाबाद ___15. श्री चिम्मनलाल नगीनदास कन्या गुरुकुल लुधियाना 16. श्री आत्मावल्लभ जैन पाठशाला बीजापुर 17. श्री आत्मानन्द जैन पाठशाला खुडाला 18. श्री आत्मवल्लभ जैन पाठशाला वेरावल 19. श्री आत्मानन्द जैन कन्या पाठशाला अहमदाबाद 20. श्री चिम्मनलाल नगीनदास विद्याविहार पाटण 21. श्री हेमचन्द्राचार्य जैन ज्ञान मंदिर अम्बालाशहर 22. श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी 23. श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी वेरावल 24. श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी अमृतसर 25. श्री आत्मानन्द जैन लायब्रेरी जंडियाला गुरु 26. श्री विजयानन्द जैन वाचनालय मालेरकोटला - 27. श्री आत्मानन्द जैन कालेजersonal use Only जैन समाज के महान ज्योतिर्धर एवं प्रभावक युगपुरुष पूज्य आचार्य श्रीमद् विजयानंद सूरीश्वरजी म. ने अपने पट्टधर श्री विजय वल्लभ सूरीश्वरजी को "सरस्वती-मंदिर" स्थापित करने का अपना अन्तिम आदेश एवं संदेश दिया। आचार्य विजय वल्लभ ने पंजा, राजस्थान, गुजरात तथा महाराष्ट्र में अनेक सरस्वती मन्दिरों की स्थापना की तथा बंबई में "श्री महावीर जैन विद्यालय' की नींव रखी। सन् 1913 में गुरुदेव का बम्बई में चातुर्मास था। शिक्षा प्रचार की आवश्यकता के विचार का जोरों से प्रचार कर उन्होंने एक प्रकार का वातावरण तैयार किया था। फलतः सन् 1913 के फाल्गुन मास में समाज के नवयुवकों की उच्च शिक्षा में सहायता करने के समयोचित हेतु से एक संस्था की स्थापना करने का स्तुत्य निश्चय किया गया। तब संस्था के नामकरण का विचार चला तो गुरुदेव ने बिल्कुल निर्मोह वृत्ति से कहा कि संस्था के साथ किसी महापुरुष, आचार्य साध या व्यक्ति विशेष का नाम जोड़ने के बजाय समस्त जैन संघ के आराध्यदेव भगवान महावीर का नाम ही रखा जाए। इस प्रकार महावीर जैन विद्यालय का जन्म हुआ। ___प्रारम्भ में यह विद्यालय बहुत छोटे स्तर पर शुरू हुआ किंतु कुछ ही वर्षों में इसके लिए एक विशाल भवन खरीदा गया। सन् 1926, में संस्था के विद्यार्थीगृह को एक लाख रुपए का दान देने वाले सेठ वाडीलाल साराभाई के नाम पर 'सेठ वाडीलाल साराभाई विद्यार्थीगृह" नाम दिया गया। 1915 से 1945 तक इस संस्था ने केवल बम्बई में कार्य करके अपनी नींव तथा लोकप्रियता सुदृढ़ बनाई। इसके उपरान्त 1946 से 1988 तक इस संस्था की सात शाखाएँ इन नगरों में स्थापित हुई-बम्बई दो, अहमदाबाद, पूना, बड़ौदा, वल्लभ विद्यानगर, आनंद, भावनगर। इन शाखाओं में विद्यार्थियों के लिए निवास गृह स्थापित किए गए हैं। इस विद्यालय के अपने तथा शाखाओंary.org पूना
SR No.012062
Book TitleAtmavallabh
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJagatchandravijay, Nityanandvijay
PublisherAtmavallabh Sanskruti Mandir
Publication Year1989
Total Pages300
LanguageHindi, English, Gujarati
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size55 MB
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