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“ऐ.....दीपचन्द रो तारो,
माता इच्छादे रो लाडो, नाम छगन शुभ पायो जी ओ। वल्लभ तो जग रो साँचो ही वल्लभ थी, जिन शासन ने दीपायो जी ओ।"
गुरु वल्लभ जन्म स्थली बड़ौदा में रथयात्रा की अनूठी छटा
दिनांक 04.03.2004 प्रातः 8 बजे रथयात्रा बड़ौदा के श्री आदिनाथ सोसाइटी, करोली बाग पहुंची जहाँ वर्तमान पट्टधर आचार्य भगवन् श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरीश्वर जी महाराज की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी सुमति श्री जी म., साध्वी सुकृता श्री जी म. विराजमान थी। अग्रगण्य व्यक्तियों ने गुरु प्रतिमा पर माल्यार्पण करते हुए भाव वंदन किया। रथ संचालकों को चांदी का एक-एक सिक्का देते हुए बहुमान किया गया। बैंड-बाजे के साथ भव्य रथयात्रा नरसी पोल से शुरू हुई रास्ते में भक्तजनों ने माल्यार्पण किए, अभूतपूर्व पुष्पवृष्टि की, गुरुभक्ति के गीत गाते हुए अपने प्यारे, लाडले गुरु वल्लभ के जयकारे लगाए, रथयात्रा घड़ियाली पोल, वल्लभ चौंक पहुंची जहाँ गुरु वल्लभ का जन्म स्थान है, वहां से होते हुए रथयात्रा जानीशेरी पहुंची जहाँ गुणानुवाद सभा का आयोजन किया गया था। वर्तमान पट्टधर आचार्य श्रीमद् विजय रत्नाकर सूरि जी महाराज की आज्ञानुवर्तिनी साध्वी सुमति श्री जी, साध्वी सुकृता श्री जी एवम् श्रमण वृंद में मुनिराज श्री कनक विजय जी की निश्रा में श्रीसंघ के प्रमुख व्यक्तियों ने गुरु वल्लभ के व्यक्तित्व पर विचार व्यक्त किए। दिनांक 05.03.2004 प्रातः 8 बजे विजय वल्लभ रथयात्रा झगड़िया पहुंची जहां झगड़िया गुरुकुल पहुंचने पर रथयात्रा का भावभीना स्वागत किया गया था वहां से बैंड बाजे के साथ शोभायात्रा प्रारम्भ हुई, झूमते नाचते गाते आबाल-वृद्ध अपनी गुरुभक्ति का दृश्य प्रस्तुत कर रहे थे श्री आदिनाथ जैन देरासर पर विजय वल्लभ रथयात्रा का विश्राम हुआ, बच्चों ने सामूहिक रूप से गुरुवन्दन किया बहुत ही अद्भुत दृश्य बन रहा था। सूरत : दिनांक 05.03.2004 बाद दोपहर एक बजे विजय वल्लभ रथयात्रा सूरत पहुँची जहां कैलास नगर सोसाइटी के श्री चिंतामणि पार्श्वनाथ देरासर पहुँचे वहां वरिष्ठ पदाधिकारियों ने रथ का भावभीना अभिनन्दन किया, गुरु प्रतिमा पर माल्यार्पण किया। लगभग दो बजे पूरा श्रीसंघ रथयात्रा के दर्शन वंदन करने पहुंच चुका था, तब वहाँ से बैंड-बाजे के साथ शोभायात्रा शुरू हुई, कैलास नगर के विभिन्न क्षेत्रो, बाजारों से होती हुई विजय वल्लभ चौंक पर जा कर सम्पन्न हुई वहां पर परम पूज्य आचार्य श्रीमद् अभयदेव सूरि जी गुरु प्रतिमा के दर्शन-वंदन करने पहुंचे।
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