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योग कोश
जैन आगम विषय कोष ग्रंथमाला का यह पहला पुष्प है, जिसमें मन के चार योग, वचन के चार योग तथा नाद के सात योग अर्थात १५ योगों का विस्तार पूर्वक विवेचन है। आधुनिक दशमलव प्रणाली के आधार पर वर्गीकरण किया गया है। ग्रंथ में योग की व्युत्पत्ति, समास, विशेषण और प्रत्यय आदि विशेषण सहित परिभाषा भी दी गई है। ग्रंथ में बताया गया है कि किस जीव में कितने योग होते हैं। विद्वानों द्वारा यह ग्रंथ समाहूत हुआ है तथा इसकी उपयोगिता स्वीकार की गई है। यह प्रकाशन अंहंत प्रवचन की प्रभावना एवं जैन दर्शन के तत्वज्ञान के प्रति सर्वसाधारण को आकृष्ट करने के लिए किया गया है। विद्वानों के लिए ग्रंथ अत्यन्त उपयोगी है। लगभग ३५० पृष्ठों की पक्की जिल्द युक्त यह ग्रंथ ग्रहणीय है।
- सम्पादक
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