________________
कमल जल में जन्म लेता है, जल में पोषित होता है, बढ़ता है, खिलता है, महकता है परन्तु अपने पत्तों को जल में आर्द्र रेखांकित नहीं होने देता। जल में रहकर भी जल से निर्लिप्त रहता है । साधक भी संसार में जन्म लेता है और अन्त तक संसार में ही रहता है, जीवन के लिये आवश्यक क्रियाएं भी करता है परंतु वह उस अदभुत निष्काम भाव से करता है कि क्रियाओं को करते हुए भी क्रियाओं से लिप्त नहीं होता है। वीतराग साधना का यही मूल रहस्य है ।
श्रीचंद चोरड़िया
Jain Education International 2010_03
५१
क्रिया कोश
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org