________________
स्वः मोहनलाल बांठिया स्मृति ग्रन्थ
उनके पास भिक्षु की प्रव्रज्या ली। विदेशो में भी प्रचारार्थ भिक्षु भिक्षुणियों को भेजा। ईसा से ४८३ साल पूर्व वैशाखी पूर्णिमा को उनका परिनिर्वाण हुआ ।
बौद्ध धर्म ने मध्यम मार्ग का अनुसरण किया व चार आर्य सत्य (१) दुःख (२) दुःख का कारण (३) दुःख निरोध (४) दु:ख निरोध का मार्ग स्थापित किए। दुःख निरोध के लिए अष्टांगिक मार्ग सम्यक ज्ञान, संकल्प, वचन, कर्मान्त, आजीव, व्यायाम, स्मृति और समाधि की प्रस्थापना की। बौद्ध धर्म की दो शाखाएं बाद में बनीं जिसमें हीनयान शाखा ने अष्टांगिक मार्ग पर जोर दिया व महायान शाखा ने छः परिमिता - दान, शील, शान्ति, वीर्य, ध्यान और प्रज्ञा के अनुपालन पर बल दिया। भगवान बुद्ध के पूर्व जन्मों का वर्णन जातक कथाओं में मिलता है व सिद्धांतों का विवेचन विनयपिटक, सुत्तपिटक व अभि धम्मपिटक में मिलता है। धम्मपद में पुरूषार्थ व संयम पर स्थान-स्थान पर बल दिया गया है। चीन, जापान व दक्षिण पूर्व एशिया में बौद्ध धर्म के करोड़ों अनुयायी आज भी हैं और श्रमण संस्कृति के सबसे जीवन्त व प्रखर धर्म के रूप सारे विश्व में बौद्ध धर्म फैला हुआ है।
Jain Education International 2010_03
>२७६
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org