________________
। स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ
पहले, दूसरे और तीसरे काल में क्रमशः उत्तम, मध्यम और जघन्य भोग भूमि की ही प्रधानता रहती है। इनमें आध्यात्मिक उन्नति के अवसर नहीं रहते। चौथे काल में कर्मभूमि का आरंभ होता है और इसी कर्मभूमि से मोक्षमार्ग का प्रवर्तन होता है।
त्रैसठ शलाका पुरुषों की उत्पत्ति चौथे काल में ही होती है। इन शलाका पुरुषों मे २४ तीर्थंकरों का नाम सर्वोपरि है। भगवान ऋषभदेव सबसे पहले तीर्थकर थे। वे अयोध्या के इश्वाकुवंशी राजा नाभिराय के पुत्र थे। पिता की मृत्यु के बाद वे राजगद्दी पर बैठे। भोग-भूमि की समाप्ति हो जाने से इन्होने अपनी प्रजा को असि, मसि, विद्या, वाणिज्य और शिल्प-इन षड़कर्मो से आजीविका करना सिखाया। लोगों को कर्म की ओर प्रवृत्त करने के कारण उन्हें प्रजापति, ब्रहमा, विधाता, आदि पुरुष आदि नामो से भी पुकारा गया है।
__ जैनों के अंतिम तीर्थकर भगवान महावीर है। बिहार प्रांत के कुंडलपुर नगर के राजा सिद्धार्थ के घर उनका जन्म हुआ। भगवान महावीर के माता-पिता भगवान पार्श्वनाथ के अनुयायी थे। जैन मान्यता के अनुसार भगवान पार्श्वनाथ के समय में वृक्षों पर लटकने, पंचाग्नि तापने और लोहे के कांटों पर सोने जैसी तामसी तपस्याओं का प्रचलन काफी बढ़ गया था। भगवान पार्श्वनाथ ने इन तामसी तपस्याओं के स्थान पर ध्यान, धारणा, समाधि, उपवास-अनशन जैसी सात्विक तपश्चर्या का अवलंबन किया । उन्होने इस सात्विक तपश्चर्या की मी मर्यादा निश्चित की थी। समाधि में विघ्न डालनेवाली अमर्यादित तपश्चर्या उन्हें मंजूर नहीं थी। भगवान महावीर ने भी भगवान पार्श्वनाथ का अनुसरण करते हुए मर्यादित तपस्या के द्वारा मोक्ष प्राप्त किया था।
भगवान महावीर की तपस्या का रहस्य संयम में है। उन्होने प्राणि-मात्र से मैत्री-भाव रखने, अपनी आवश्यकताओं को कम से कम बनाए रखने और मात्र उसी प्रवृत्ति को स्वीकार करने पर जोर दिया जो जीवित रहने के लिए अनिवार्य हो। इस अनिवार्य प्रवृत्ति में भी वे किसी प्रकार के प्रमाद की गुंजाइश नहीं छोड़ते। उनका निवृत्ति मार्ग यही है कि अपने शारीरिक व्यवहार को इतना घटा दिया जाए कि दूसरों को बिलकुल कष्ट न हो।
आम तौर पर जैन-धर्म का वेद, ब्राह्मण और वर्णाश्रम विरोधी धर्म के रूप मे चित्रित किया जाता है। तीर्थकर होने के बाद भगवान ने जो पहले शिष्य बनाए वे सब
Jain Education International 2010_03
For Private & Personal Use Only
www.jainelibrary.org