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स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ
योजनाबद्ध कार्य और सुव्यवस्था की। वह कहा भी करते थे कि सुयोजित कार्य के लिए सुरुचिपूर्ण व्यवस्था भी उतनी ही महत्वपूर्ण है, जितनी मन की परिपक्वता । स्वास्थ्य उसमें कहीं बाधक नहीं होता, वरन स्वास्थ्य उससे सम्बल प्राप्त करता है। वे आज नहीं रहे, लेकिन उनकी विद्वतापूर्ण पुस्तकों के साथ उनकी अनेक मधुरतम स्मृतियां प्रज्वलित हैं, जो नई पीढ़ी के लिए दिशा प्रेरक और कार्य के लिए ज्वलन्त शक्ति का श्रोत है और यही हम सबकी बांठियाजी के प्रति सच्ची श्रद्धांजलि है।
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