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स्व: मोहनलाल बाठिया स्मृति ग्रन्थ
आमुख के रूप में विवसित प्रश्न पर अपने भी कुछ विचार प्रगट करने का अवसर मिला, जिसके लिये हम श्री चोरडियाजी तथा मोहनलालजी बैद, मंत्री जैन दर्शन समिति और श्री मांगीलाल लूणियाजी उपमंत्री - जैन दर्शन समिति कलकता के आभारी हैं यह पुस्तक जैन पण्डितों को सोचने पर विवश करेगी, कतिपय प्रचलित भ्रान्तियों के निरसन में भी सहायक होगी और प्रबुद्ध जैनेतरों के समक्ष जैन दर्शन की सार्वभौमिकता, सार्वकालीनता, वैज्ञानिकता एवं युक्तिमत्ता को उजागर करेगी।
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