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________________ आचार्य श्री विजयवल्लभसूखिर यहां पर पंजाब केसरी आचार्यप्रवर श्री विजयवल्लभसूरिवरके जीवनका परिचय कराया जाता है। ये चारित्रशील, प्रभावसम्पन्न, गुरुभक्त एवं जैन समाजको निःस्वार्थ सेवा करनेमें अपने जीवनको पूर्ण कर देनेवाले महापुरुष हैं । आपका जीवन इतना विशुद्ध है, जिसको सुन कर मनुष्यके हृदयंगत अनेकानेक दोष दूर हो जाय । यहाँ पर इनके सम्पूर्ण जीवनवृत्तको लिखने का संकल्प नहीं है और न इतनी तैयारी भी है, किन्तु सिर्फ इनके जीवनको संक्षिप्त रूपरेखाका आलेखन मात्र करनेका इरादा है । इस महापुरुषके जीवनका पूर्ण परिचय प्राप्त करनेको चाहना वाले महानुभावोंको श्रीयुत कृष्णलालजी वर्मा संपादित “ आदर्श जीवन " नामकी पुस्तक साधन्त पढ़ लेना उचित है । जन्मस्थान, मात-पितादि-इस महापुरुषका जन्म विक्रम संवत् १९२७ कार्तिक शुक्ल द्वितीयाके शुभ दिन धर्मक्षेत्र बड़ोदा शहरमें हुआ था। आपके पिताका शुभ नाम श्रीयुत दीपचंदभाई था और माताका नाम श्रीपती इच्छाबाई था। आपका धन्यनाम " छगनलाल" था । आपका कुल स्वाभाविक ही धर्मसंस्कार सम्पन्न था, और आप खुद भी जन्मसंस्कारसम्पन्न आत्मा थे, अतः आपको बाल्यावस्थासे ही वीतरागदेवप्रणीत धर्मके प्रति अत्यन्त श्रद्धा एवं आदर था । प्रव्रज्याका संकल्प-संसारमें बहुधा करके यह एक अटल नियम है कि अपनी आत्माकी उन्नतिके अभिमुख प्रत्येक व्यक्तिको अपने जीवन-विकासके लिये कोई ऐसा एक न एक निमित्त जरूर मिलना चाहिए जिसके संयोगसे वह अपने जीवनविकासके लिये अपूर्व एवं अकल्पनीय धर्मसामग्री प्राप्त कर लेवे । एवं क्षण भी कोई ऐसा अपूर्व होता है कि जिस समय मिला हुआ शुभ संयोग मनुष्यके जीवन-विकासके लिये अमोघ साधन सा हो जाय । संवत् १९४२ का वर्ष धन्य था, जिस समय अपने चरित्रनायक गृहवासमें थे और तब आपकी उम्र अनुमान पंद्रह सालकी हो Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012058
Book TitleGyananjali Punyavijayji Abhivadan Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorRamnikvijay Gani
PublisherSagar Gaccha Jain Upashray Vadodara
Publication Year1969
Total Pages610
LanguageGujarati, Hindi, English
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size15 MB
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