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तुम महावीर थे
तुम महावीर थे, और अहिंसक धीर व्रती । तुम राजपुरुष थे, अनासक्त तुम बने यती । धीरे-धीरे सब कुछ छोड़ा, ममता-माया का बंधपाश । तुमने जर्जर जन-जीवन में, फैलाया करुणा का प्रकाश । हम आज स्मरण करते तेरा, जब विश्व युद्ध से है पीड़ित । यह वियतनाम, यह बियाफरा, यह मध्य एशिया, दीर्घ दाह । ऐसे विनाश के समय हमें, तुम ही दिखलाओं शान्ति राह ॥ - प्रभाकर माचवे
वीर का उपदेश
(१)
क्या तुम्हें राज यह मालूम है दुनियावालो,
किसने इन्सान को मुक्ति की दिखाई राहें ? और दुनियाँ के अँधेरे में किया किसने प्रकाश,
किससे पुरनूर हुई दहर की जुल्मतगाहें ? (२)
किसने हस्ती को दिया पहिले अहिंसा का सबक ?
किसकी शिक्षा से हुये ब्रह्म के दिल को दर्शन ? किसने समझाये हर एक जीव को जीवन सिद्धान्त ? किसने कुर्बान सचाई पै क्रिया तन मन (३) आत्मा कहती है, “भगवान महावीर थे वह ! "
धन ?
जिनकी तालीम से अज्ञान मिटा, ज्ञान हुआ ! जिनकी दृष्टि को नजर आई बकाकी मंजिल,
जिनकी शक्ति से कठिन मार्ग भी आसान हुआ ! (४)
वीर ने प्रेम-ओ-अहिंसा को बताया है सवाब,
वीर ने नफरत -ओ-हिंसा को बताया है गुनाह, वीर ने भेद हकीकत के बताये सबको,
बीर ने सबसे कहा, 'पाक करो कल्बो निगाह',
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