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प्रकाशकीय वक्तव्य
श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश की यह आकांक्षा रही कि अहिंसा के महान प्रणेता भगवान महावीर को श्रद्धा के ऐसे सुमन अर्पित किये जाँय जो उपयोगी एवं स्थायी हो सकें । उसी के फलस्वरूप प्रस्तुत 'भगवान महावीर स्मृति ग्रन्थ' का प्रकाशन सुलभ हुआ । इस ग्रन्थ के निर्माण में जिन मनीषी विद्वानों का सहयोग रहा है, उनके प्रति समिति आभारी है । इस ग्रन्थ की रूपरेखा और व्यवस्था एवं सम्पादक के समस्त दायित्व का जैन संस्कृति के प्रतिष्ठित विद्वान विद्यावारिधि डा० ज्योति प्रसाद जैन ने जिस योग्यता एवं कुशलता से निर्वाह किया है और इसके लिए जो अथक परिश्रम उन्होंने किया है उसके लिए समिति उनकी हृदय से आभारी है ।
ग्रन्थ में सात खण्ड हैं । प्रथम खण्ड में भगवान महावीर की सूक्तियाँ एवं उपदेश सरल अनुवाद सहित संकलित हैं, जिससे कि जिज्ञासु उनका अर्थ सरलता से हृदयंगम कर सकें । द्वितीय खण्ड में भगवान महावीर की स्तुति में रचित स्तोत्र एवं स्तवन कालक्रमानुसार दिये गये हैं । तृतीय खण्ड में भगवान महावीर का जीवन परिचय दिया गया है, उनकी उपलब्धियों पर प्रकाश डाला गया है, और उनकी धर्म व्यवस्था की प्रमुख विशेषताओं की चर्चा की गई है । चतुर्थ खण्ड में जैन दर्शन, साहित्य एवं संस्कृति पर विविध सारगर्भित लेख दिये गये हैं । भगवान महावीर अहिंसा के महान प्रणेता थे और उनके अनुयायियां के लिए आज भी मांसाहार सर्वथा वर्जित एवं अग्राह्य है, अतः पंचम खण्ड में शाकाहार का वैज्ञानिक विवेचन किया गया है । षष्ठम खण्ड में उत्तर प्रदेश में जैन धर्म के विकास क्रम, पुरातत्व, कलावैभव, साहित्य एवं समाज के विषय में उपयोगी सामग्री इस प्रकार संकलित की गई है कि जिज्ञासु एक ही स्थान पर इस प्रदेश में जैन धर्म की अवस्था और जैन समाज के कृतित्व का परिचय प्राप्त कर सके । अन्तिम खण्ड में श्री महावीर निर्वाण समिति, उत्तर प्रदेश, के कार्यकलापों का विवरण प्रस्तुत किया गया है ।
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