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________________ ११६ ] इन निदर्शनों के अलावा ककुभ-कहाँयू उ० प्र० के गोरखपुर जिला से सम्राट स्कन्दगुप्त (४६०ई०) ज्येष्ठ मास का पञ्च आदि कर्तृन' [आदि, शान्ति, नेमि, पार्श्व एवं महावीर] शिलालेख भी उल्लेखनीय है ।११ ललितपुर जिले के देवगढ़ मन्दिर की अभिलिखित जैन प्रतिमाओं के लेख तथा पट्टलेख तथा स्तम्भ लेख हैं । प्रतिमा लेख अधिकांश अपूर्ण हैं । मूर्ति लेख कम सख्या में पूर्ण हैं । पट्ट और स्तम्भ लेख लम्बे हैं । इनमें भोज (८६२ ई०) के समय का लेख महत्वपूर्ण है। सारे लेख ९ वीं से १२ शती तक के हैं। इनकी संख्या चार सौ से ऊपर है। यहां पर जैन मन्दिरों में यक्षियों की प्रतिमाओं के पट्ट पर उनके नाम उत्कीर्ण किये गये हैं। उत्कीर्ण लेखों की लिपि ९५० ई० के लगभग की प्रतीत होती है।" इस प्रकार से जैन-प्रतिमाओं के मूत्तिलेख, संवत, आचार्य, संघ, गण, शाखा, गच्छ, संस्थापक, शासक, प्रतिष्ठा स्थान, रूपकार का सुन्दर विवेचन करते हैं। स्थान एवं शासक का उल्लेख कराने वाले, चौक लखनऊ के भगवान शान्तिनाथ मन्दिर बहरन टोले की श्वेत पाषाण चौकी के अभिलेख को देखें: संवत १८६३ .. · चरण भराया वृहत्खरतरगछे भट्टारक श्री जिनहर्ष सूरिभिः प्रतिष्ठितं श्रेयार्थ शासन देवी अस्य मंदिरस्य रक्षा कुर्वन्तु ॥ श्री॥श्री ।। श्री लखनऊ नगरमध्ये नवाब साहब सहादत अलि विजय राज्ये ॥ इससे स्पष्ट विदित होता है कि संवत १८६३ में लखनऊ में नवाब सादतअली का शासन था, उसी समय ये चरण मन्दिर में स्थापित हुए । लेख संस्कृत में है यद्यपि नगर में उर्दू का बोलबाला रहा होगा। ___ अस्तु चिरकाल से उपेक्षित इन मूक किन्तु तथ्यपूर्ण अभिलेखों के अध्ययन से क्या खोज का मार्ग प्रशस्त नहीं होता है ? क्या इन लेखों के विवेचन से जैन इतिहास यथा श्रावकों की जाति, गोत्र, आचार्यों के गच्छ, भाषा व लिपिका क्रमिक विकासादि विषयों पर समुचित प्रकाश नहीं पड़ता है ? क्या यह कहना कि ये लेख इतिहास तथा जैन संस्कृति के ज्ञान हेतु, रत्नाकर तुल्य है, उचित न होगा। ११-फ्लीट, कार्पस इन्सक्रप्शन्सइडकोरम, सरकार डी० सी० स्लेक्टेड इंस्कृप्शन्स १२-कल्सब्रुन (Klaus Bruhn) दी जैन इमजेज आफ देवगढ़ १०४ १३-जैन, बालचन्द्र, जैन प्रतिमा विज्ञान, खण्ड-१, पृ१०८ १४. नाहर, पूर्णचन्द-जैनलेख संग्रह, भा० २, लेख सं. १५२५, पृ.११९ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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