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________________ ९८ ] (छ) छात्रालय--पूर्वोक्त विद्यालयों, कालेजों और स्कूलों से सम्बद्ध छात्रावासों के अतिरिक्त जैन होस्टल इलाहाबाद, जैन बोडिंग हाउस मेरठ, जैन बोडिंग हाउस आगरा और सन्मति निकेतन वाराणसी उल्लेखनीय हैं। (ज) छात्रवृत्ति फंड--मूलतः नजीबाबाद निवासी श्री साहू शान्तिप्रसाद जी एवं साहू रमेशचन्द्र जी द्वारा स्थापित बृहत्छात्रवृत्ति फंडों के अतिरिक्त मेरठ में दो छात्रवृत्ति फंड कार्य कर रहे हैं। अन्यत्र भी व्यक्तिगत रूप में अनेक सज्जन निर्धन छात्रों की सहायतार्थ छात्रवृत्तियाँ देते हैं। (A) पुस्तकालय--प्रदेश में उच्च कोटि का केन्द्रीय अथवा प्रान्तीय कोई जैन पुस्तकालय नहीं है, किंतु प्रायः सभी नगरों एवं कस्बों में जहाँ जैनों की अच्छी बस्ती है, एक या अधिक सार्वजनिक जैन पुस्तकालय चल रहे हैं। (अ) शास्त्र भंडार-प्रायः प्रत्येक बड़े तथा अपेक्षाकृत पुराने जैन मंदिर में एक छोटा या बड़ा शास्त्र भंडार रहता आया है। आगरा, मेरठ शहर, फिरोजाबाद, बाराबंकी, खुर्जा, सहारनपुर, लखनऊ आदि के मंदिरों में अच्छे शास्त्र भंडार हैं, जिनमें सैकड़ों हस्तलिखित ग्रन्थ संग्रहीत हैं-इनमें से कई तो अप्रकाशित ही नहीं अलभ्य एवं महत्वपूर्ण भी हैं। (ट) ग्रन्थमालाएं एवं प्रकाशन संस्थाएं-श्री साहू शान्तिप्रसाद जैन द्वारा संस्थापित भारतीय ज्ञानपीठ और उसकी लोकोदय एवं मूर्तिदेवी जैन ग्रन्थमालाओं का मुख्य कार्यालय मूलतः वाराणसी में ही था । अब कार्यालय दिल्ली में स्थानान्तरित हो गया है किन्तु वाराणसी में भी उसका एक प्रधान अंग बना हुआ है । वाराणसी में ही वर्णी ग्रन्थमाला, वीर सेवा मन्दिर ट्रस्ट ग्रन्थमाला, पार्श्वनाथ विद्याश्रम ग्रन्थमाला स्थापित हैं। जैन मिशन कार्यालय अलीगंज, भा. दि. जैन संघ मथुरा व भा. दि. जैन शास्त्रि परिषद बड़ौत भी अच्छी प्रकाशन संस्था हैं। मेरठ सदर में सहजानन्दवर्णी ग्रन्थमाला का कार्यालय है तथा मेरठ शहर में वीर निर्वाण भारती ग्रन्थमाला स्थ है। आगरा में सन्मति ज्ञानपीठ लोहा मण्डी अच्छी प्रकाशन संस्था है। अन्यत्र भी कई छोटीएवं धर्मार्थ साहित्य प्रकाशन संस्थाएँ चल रही हैं । इनके अतिरिक्त प्रतिवर्ष व्यक्तिगत रूप से सैकड़ों पुस्तकें लोग प्रकाशित कराकर वितरित करते रहते हैं। (1) धर्मशालएँ–प्रायः प्रत्येक बड़े नगर या कस्बे में, जहाँ जैनों की अच्छी बस्ती है, एक या अधिक जैन धर्मशालाएँ हैं, जिनमें यात्रियों से कोई किराया या फीस नहीं ली जाती और उनकी सुविधा का यथासम्भव ध्यान रक्खा जाता है। (ड) औषधालय-चिकित्सालय--अनेक स्थानों में धर्मार्थ जैन औषधालय, चिकित्सालय आदि चल रहे हैं। इनमें से अधिकांश आयुर्वेदिक हैं, कुछ होम्योपैथिक हैं और दो एक एलोपेथिक भी हैं । ललितपुर में एक नेत्र चिकित्सालय स्थापित किया जा रहा है । अलीगढ़ में एक प्रसूतिग्रह स्थापित हुआ है। (ढ) दीन-दुखियों, अपाहिजों, विधवाओं और बेरोजगारों की सहायता के लिए व्यक्तिगत रूप से कई स्थानों में व्यवस्था है, किन्तु कोई सुगठित एवं व्यापक महत्त्व का कार्य अभी इस दिशा में नहीं हो रहा है। मडा. वीर जन कल्याण निधि' जैसी योजना की ऐसे जनहित के कार्यों के लिए बड़ी आवश्यकता है। (ण) कई नगरों में राहत कार्यों एवं विशेष अवसरों पर जनसेवा हित कार्य करने वाले युवकों के स्वयंसेवक दल भी गठित हैं, किन्तु ये भी जितने और जैसे होने चाहिए, नहीं हैं। इस प्रकार सामाजिक चेतना, शिक्षा प्रचार एवं प्रसार और सार्वजनिक हित के कार्यों में प्रदेश के जैन, अपनी संख्या के अनुपात को देखते हुए, सन्तोषजनक रूप में प्रयत्नशील कहे जा सकते हैं। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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