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ख-६
करके सभा में भाषण देने के कारण आप को साबरमती जेल में रहना पड़ा। इस समय आपका पुत्र जैनेन्द्र केवल ३ वर्ष का था, अतः वह भी अपनी मां के साथ जेल में रहा । वह जेल में अपने पति के राष्ट्रभाषा प्रचार के कार्य में भी सक्रिय योग देती रहीं।
सुखलाल इमलिया ललितपुर (जन्म १९१९ ई०), जेलयात्रा १९४२ में १ वर्ष की तथा १०० रु० अर्थ-दण्ड । अपने अग्रज श्री वृन्दावन इमालिया, जो स्वतन्त्रता संग्राम के प्रमुख प्रणेता थे से प्रभावित होकर परिवार के भरण-पोषण की परवाह न करते हुए भारत माता को स्वतन्त्र कराने हेतु स्वयं भी सेनानियों की कतार में खड़े हो गये ।
श्री पन्नालाल गुढ़ा, ललितपुर (जन्म १९१४ ई०), जेलयात्रा १९४२ में १ वर्ष की तथा १०० रु० अर्थ-दण्ड ।
श्री शिखरचंद सिंघई, ललितपुर (जन्म १९२१ ई०), जेलयात्रा अगस्त १९४२ में १ वर्ष की तथा १०० रु० अर्थ-दण्ड।
__ श्री बाबूलाल घी वाले, ललितपुर (जन्म सं० १९७२) जेलयात्रा १९४२ में १ वर्ष तथा १०० रु० अर्थ-दण्ड ।
श्रीमती केशरबाई, ललितपुर (जन्म १९१५ ई०), जेलयात्रा १९४१ में १ माह ।
श्री खूबचंद पुष्प, ललितपुर (जन्म १९८१ वि०), जेलयात्रा, १९४२ में १ वर्ष की तथा ५०० रु० अर्थ-दण्ड ।
श्री गोपालदास जैन, साढूमल, जिला ललितपुर (जन्म १९१२ ई०), जेलयात्रा १९४१ और १९४२ में क्रमशः १ माह व १ वर्ष की।
श्री कपूरचन्द जैन, सैदपुर, जि० ललितपुर (जन्म १९२१ ई०), जेलयात्रा १९३१ में ६ माह की तथा २५ रु. जुर्माना। श्री विजय कृष्ण शर्मा के साथ क्रान्तिकारी आन्दोलन में भी भाग लिया। १९४८-४९ में प्रान्तीय रक्षा दल में रहे। __ श्री घनश्याम दास, लुहरी जि० ललितपुर (जन्म १९४२ ई०), जेलयाना १९४२ में, ६ माह की कैद ।
पं० फलचन्द, सिलावन जि. ललितपुर (जन्म सं० १९५७), जेलयाना १९४१ में १ मास की सजा तथा १०० रु० जुर्माना ।
श्री अभिनन्दन कुमार टया, ललितपुर--जेलयात्रा १९४२ में १ वर्ष की तथा १००) अर्थ-दण्ड । आप ललितपुर-झांसी के प्रसिद्ध वकील भी हैं ।
श्री ताराचन्द कजिया वाले, ललितपुर--(जन्म १९२० ई०) जेल यात्रा, १९४२ में १ वर्ष की सजा तथा १०० रु. का अर्थ-दण्ड ।
प्रो० खुशाल चन्द, गोरा जि० ललितपुर--(जन्म १९१३ ई०) वर्तमान में प्राध्यापक काशी पिद्यापीठ, जेलयात्रा १९४१, १९४२ । अपने पूर्वज चिंतामणि शाह तथा उमराव शाह की भांति इन्होंने भी अंग्रेजों की दमनकारी नीतियों का सदैव के लिए अंत करने के लिए १९३० से ही बानर सेना के रूप में कार्य प्रारम्भ किया। तीसरे व्यक्तिगत सत्याग्रह के समय आप उत्तर प्रदेश कांग्रेस के संगठन मंत्री थे, ढाई मास तक हैलटशाही से जूझते हुए २५ जलाई १९४१ को नजरबंद हुए, १ फरवरी १९४२ में जेल से छुटने के बाद 'भारत छोड़ो आंदोलन' में सक्रिय भाग लेने पर पुनः जेल का पंक्षी जेल में ३ सितम्बर १९४२ को भेज दिया गया; जहाँ से अंत में १९४४ को छूटे।
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