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श्रीमती गंगा देवी आप जैन समाज के ख्याति प्राप्त मुंशी मुकुन्दरामजी की पुत्री थीं और मुरादाबाद से राष्ट्रीय प्रोग्राम में भाग लेने वाली आप ही एकमात्र जैन महिला थीं । कांग्रेस प्लेटफार्म पर बड़े-बड़े व्याख्यान दिये और जेल यात्रा की ।
ख- ६
हकीम टेकचन्द, थोड़ी---आप सोलहों जाने गांधी बाबा के चेले रहे और ग्राम सेवा में लगे रहे।
श्री सिपाही लाला, राजयल— सन् ४१ से ही राष्ट्रीय विचार रखते हैं। सन् ४२ के आंदोलन में छिपे रहकर प्रचार किया और अपना सम्पूर्ण जीवन देश सेवा में लगाया।
लाल केशोशरण ग्राम हरियाना की, सन् ४२ के आंदोलन में स्थानीय कोर्ट में जाकर गिरफ्तार हुए और लम्बे समय तक कारावास में रहे और आप की पत्नी भी सख्त बीमार रहीं, पर आप ने
उत्कट देश सेवी और कांग्रेस कार्यकर्ता रहे। कई बार जेलयात्रा राष्ट्रीय ध्वजारोहण किया और आजादी का संदेश सुनाया, जेल जीवन में ही आप की प्रिय पुत्री का शरीरान्त हुआ, परवाह न की।
आगरा जिला
सेठ अचल सिंह - आप आगरे के प्रसिद्ध एवं सर्वप्रमुख राष्ट्रीय नेता रहते आये हैं और कांग्रेस की ओर से युक्तप्रान्तीय धारा सभा के सन १९३६ से सदस्य रहे तथा स्वतन्त्रता प्राप्ति के बाद से लोक सभा के सदस्य रहते आये हैं । अनेक बार जेल यात्रा की है। जिला कांग्रेस कमेटी के अनेक बार सभापति रहे । अंचल ग्राम सेवा संघ के संस्थापक हैं ।
बाबू चांदमल जैन वकील- आप श्वेताम्बरी ओसवाल जैन समाज के प्रमुख कार्यकर्ता थे। १९२१ के राष्ट्रीय आन्दोलन में भाग लिय था। उस समय की नोकरशाही नीच से नीच कार्य करने में नहीं चूकती थी, आपको इंटरों से पीटा गया था और कठिन कारावास भी भुगतना पड़ा था ।
सेठ रतन लाल जैन - आप स्थानकवासी अग्रवाल थे और लोहे के बहुत बड़े व्यापारी थे। आपने १९३६ से ही राष्ट्रीय सेवा में भाग लिया तथा १९४२ के आन्दोलन में नजरबन्द होकर कारागृह में भेज दिये गये थे, जहाँ से १ माह बाद छोड़े गये । आप वार्ड कांग्रेस कमेटी के सदस्य तथा अधिकारी अनेकों बार चुने गये ।
श्री महेन्द्र जी आपको बचपन से ही साहित्यिक होने का चाव था। आप अपने नाना जी के पास रहते थे और "जैसवाल जैन" के संपादक, साहित्यरत्न भंडार के मालिक और हिन्दी प्रचारणी सभा के प्रायः स्थायी मंत्री रहे । १९३० के आन्दोलन में 'सैनिक' की मैनेजरी की ओर आन्दोलन की विज्ञप्ति बड़े जोर-शोर से की। 'सैनिक' के बन्द करवा दिये जाने पर 'सिंहनाद' पत्र निकाला जो कि साइकिलोस्टाइल प्रकाशित होता था। गांधीइरविन पेवट होने से कुछ दिन पूर्व आप को गिरफ्तार कर लिया गया और ६ माह के लिए जेल भेज दिया गया । १९३४ में बागरे में आरती समाज के मामले में भी आपने अपने 'आगरा पंच' द्वारा जनता की सराहनीय सेवा की। १९४१ में आप सरकार द्वारा नजरबन्द कर लिये गये और ७ माह बाद छोड़े गये। पुनः १९४२ में जेल भेजे गये । इन दिनों आपका साहित्य प्रेस तथा मासिक 'साहित्य सन्देश' सरकार द्वारा बन्द कर दिये गये । आपको सरकार ने २ साल तक बन्द रखा ।
श्रीमती अंगूरी देवी (धर्मपत्नी श्री महेन्द्र जी ) – आप को सन १९३० के आन्दोलन में ६ मास की कड़ी सजा हुई थी। आप हर राष्ट्रीय आन्दोलन में सहयोग देती रही हैं, ४०-४२ के आन्दोलन में भी आपने रिलीफ आदि के कार्य में काफी सहयोग दिया था।
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