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________________ ७० ] सन्त थे । ब्रह्मचारी शीतल प्रसाद (१८७९-१९४२ ई०) का जन्म लखनऊ में हुआ था, यहीं अन्त में उनका समाधिमरण हुआ, किन्तु पूरा उत्तर प्रदेश ही नहीं सम्पूर्ण भारतवर्ष उनका कार्यक्षेत्र था। भारी समाजसुधारक, उत्कट शिक्षा प्रेमी, देशभक्त और इस युग के सबसे बड़े जैन मिशनरी थे। जैन समाज के ऐसे निःस्वार्थ हितचिंतक और उसे जागत करने के लिए अथक परिश्रम जीवनभर करने वाले संत भी विरले ही हुए हैं। क्ष वर्णी (१८७४-१९६१ ई०) का सम्पूर्ण जीवन धर्म और समाज की सेवा में समर्पित रहा। ग्राम हंसेरा (तहसील महरौनी, जिला ललितपुर) में जन्मे, विभिन्न स्थानों में विद्याध्ययन कर न्यायाचार्य हुए, स्याद्वाद महाविद्यालय वाराणसी की तथा अन्य अनेक संस्कृत विद्यालयों, पाठशालाओं आदि की स्थापना की, प्रायःप्ररंभ से ही 'वर्णी' विशेषणधारी ब्रह्मचारी रहे और अन्तिम १४ वर्षों में क्षुल्लक पद में रहे । बुन्देलखंड की जैन समाज को जागृत करने का श्रेय उन्हें ही है। यह वर्णीजी इस युग के महान आध्यात्मिक जैन संत थे। महात्मा भगवानदीन विलक्षण संत थे-उनका सम्पूर्ण जीवन देश और जनता जनार्दन की सेवा में व्यतीत हुआ। ग्राम चावली (जिला आगरा) में जन्मे पं० नन्दनलाल शास्त्री आचार्यप्रवर शान्तिसागर जी से दीक्षित होकर क्रमशः ब्रह्मचारी एवं क्षल्लक-ऐल्लक ज्ञानसागर हुए, फिर मुनि एवं अन्त में आचार्यसुधर्मसागर के रूप में प्रसिद्ध हुए । फिरोजाबाद (जिला आगरा) में जन्मे पं० महेन्द्रकुमार शास्त्री ३२ वर्ष की आयु में मुनि दीक्षा लेकर कालान्तर में आचार्य महावीरकीति (१९१०-७१ ई.) के रूप में प्रसिद्ध हुए ५० मुनि, आयिका, क्षुल्लक ब्रह्मचारी आदि त्यागि महात्माओं और साध्विवों के दीक्षा गुरु हुए। मुनिसागर (जिला आगरा), मेरठ की विद्यावती माताजी एवं साध्वी किरण, आगरा की शरबती देवी जिला मेरठ के मूनि स्वर्णसागर और विमल मुनि, आदि अन्य इस युग के कई संत-संतनिया दिवंगत हो चके हैं। उत्तर प्रदेश के वर्तमान जैन संतों में उल्लेखनीय हैं-आचार्य विमलसागर (कोसमा, जिला आगरा), आचार्य सन्मतिसागर (फफूंद, जि० एटा), आचार्य पार्श्वसागर (समोना, जिला आगरा), उपाध्याय अमरमुनि एवं उनका शिष्यवर्ग, मुनि पार्श्वसागर (एटा), मुनि श्रुतसागर (आगरा), मुनि संभवसागर (एटा), मुनिशीतलसागर (फिरोजाबाद), टिकैतनगर (जिला बाराबंकी) की विदुषीरत्न ज्ञानमती माताजी, अभयमती, रत्नमती, सिद्धमती, बाराबंकी की कुंथमती, फिरोजाबाद की शान्तिमती आदि आर्यिकाएँ, क्षुल्लक दयासागर (आगरा) तथा अन्य कई ब्रह्मचारी, ब्रह्मचारिणी आदि। प्रदेश के बाहर के भी कई संतों, यथा उपाध्याय मुनि विद्यानंद, क्षुल्लक सहजानन्द (मनोहर लाल वर्णी) आदि का मुख्य कार्यक्षेत्र उत्तर प्रदेश है। Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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