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________________ ख-३ और जब तीर्थंकर महावीर का मर्मस्पर्शी उपदेश जनता ने सुना तो धर्म का सुन्दर सत्य स्वरूप उसे ज्ञात हुआ। उस धर्म प्रचार से अहिंसा का प्रभावशाली प्रसार हुआ, पशुयज्ञ होने सर्वत्र बन्द हो गये। हिंसा कृत्य और मांस-भक्षण से भी जनता घृणा करने लगी। हिंसक लोग तीर्थंकर महावीर का उपदेश सुनकर स्वयं अहिंसक बन गये। श्री महावीर तीर्थकर ने इच्छारहित होकर भो भव्यजनों के प्रति सहज दया से प्रेरित होकर अथवा उनके प्रबल पुण्ययोग से काशी, कश्मीर, कुरु, मगध, कोसल, कामरूप, कच्छ, कलिंग, कुरुजांगल, किष्किंधा, मल्लदेश, पांचाल, केरल, मद्र, चेदि, दशार्ण, वंग, अंग, आंध्र, उशीनर, मलय, विदर्भ, गौड़ आदि देशों में धर्मप्रभावना की, देशनार्थ प्रवचन किया। एतावता अनेक प्रान्तों तथा देशों में तीर्थंकर महावीर का मंगल विहार हुआ और महान धर्म-प्रचार हुआ। उनकी भाषा दिव्य ध्वनिरूपिणी थी, जिसे सभी उपस्थित श्रोता समझते थे। जहाँ-जहाँ तीर्थंकर भगवान विहार करते थे वहाँ-वहाँ धर्मपीयूषपाथियों को उपदेश प्रदान करते थे। तीर्थंकर महावीर का जहाँ भी मंगलमय विहार हुआ, वहाँ के शासक, मंत्री, सेनापति, पुरोहित, विद्वान, तथा अन्य साधारणजन उनके अनुयायी भक्त बनते गये। जिस तरह सूर्य के उदय से अन्धकार हटता जाता है उसी तरह तीर्थंकर महावीर के उपदेश से अज्ञान, भ्रम, अधर्म, अन्याय, अत्याचार, हिंसा-कृत्य आदि पापाचार साधारण जन क्षेत्र से दूर होता गया और निरपराध मूक पशु जगत् को संरक्षण मिला। * महावीर की विशेषता * महावीर स्वामी ने तोड़ने का काम नहीं किया, हमेशा जोड़ने का काम किया। उनके साथ बातचीत के लिए कोई उपनिषद का अभिमानी आता तो उसके साथ वे उपनिषद के आधार पर चर्चा करते थे, गीता का अभिमानी आता तो गीता का आधार लेकर चर्चा करते, कोई वेद का अभिमानी आता तो वेद का आधार लेकर चर्चा करते, बौद्धों के साथ उनके ग्रन्थ का आधार लेकर चर्चा करते। उन्होंने अपना विचार किसी पर जरा भी लादा नहीं और सामने वाले के विचार के अनुसार-सोचकर समाधान देते थे । -संत विनोबा भावे Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org
SR No.012057
Book TitleBhagavana Mahavira Smruti Granth
Original Sutra AuthorN/A
AuthorJyoti Prasad Jain
PublisherMahavir Nirvan Samiti Lakhnou
Publication Year1975
Total Pages516
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth & Articles
File Size16 MB
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